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ख़ेमा, ख़ेमों, ख़ेमा बनाने वाला

ता’अर्रुफ़:

ख़ेमा एक बा आसानी ले जाने के क़ाबिल होता है जो खम्भों पर लगाया जाता है।

  • ख़ेमा छोटा हो सकता है, कुछ लोगों के लिए सोने की मुनासिब जगह के साथ, या वे बहुत बड़े हो सकते हैं, एक पूरे घराने के सोने, पकाने और रहने के लिए हो।
  • कुछ लोगों के लिए ख़ेमा मुक़र्रर जगह है। मिसाल के लिए, ज़्यादातर वक़्त में इब्राहीम का घराना कना’न मुल्क में रहता था, वे बकरियों के बाल के बड़े कपड़े से बने बड़े ख़ेमों में रहते थे।
  • सीनै के जंगल में चालीस साल विचरण करते वक़्त इस्राईली ख़ेमों में रहते थे।
  • ख़ुदा के रहने का ख़ेमा एक बड़ा तम्बू था जिसमें कपड़े के मोटे पर्दे दीवारों का काम करते थे।
  • जब पौलुस रसूल ने ख़ुशखबरी फ़ैलाने के लिए तमाम शहरों का सफ़र किया , तो उन्होंने ख़ेमे बनाकर ख़ुद की परवरिश किया।
  • “ख़ेमा ” लफ़्ज़ तमसीली शक्ल में इन्सानों के रहने की जगह है। यहां ख़ेमे का तर्जुमा “घर” या “रहना ” या “मकान ” किया जा सकता है। (देखें:

(यह भी देखें :इब्राहीम , कना’न, परदा, पौलुस, सीनै, सुलह का ख़ेमा , मिलापवाला ख़ेमा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H167, H168, H2583, H3407, H6898