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3.2 KiB

’अदालत , जमा’त

ता’अर्रुफ़:

‘अदालत आदमियों की एक मजलिस थी जो ज़रूरी मज़मून पर ख़्याल करने, राय देने तथा फ़ैसला लेने के लिए बैठता है।

  • किसी ख़ास मक़सद के लिए सदर-ए-‘अदालत का इन्तिज़ाम ज़्यादा तर और मुक़र्रर शक्ल में किया जाता है जैसे क़ानूनी मज़मून पर पर फैसला लेना।
  • “यहूदी’अदालत ” यरूशलीम, को “सेनहेद्रिन” कहते थे, उसके 70 रुक्न थे जिनमें यहूदी रहनुमा जैसे सरदार काहिन , बुज़ुर्ग , ‘आलिम , फरीसी, सदूकी थे, वे यहूदी शरी’अत से मुता’ल्लिक मौज़ू पर फ़ैसला लेने के लिए मुस्तक़िल तौर पर मजलिस करते थे। इसी ‘अदालत ने ‘ईसा पर इलज़ाम लगा कर उसे मौत देने का फ़ैसला लिया था।
  • और शहरों में भी छोटी यहूदी मजलिसें थी।
  • पौलुस रसूल को रोमी हुकमरान के सामने हाज़िर किया गया था क्योंकि वह ख़ुश ख़बरी की मुनादी कर रहा था।
  • मज़मून के मुताबिक़ “मजलिस” का तर्जुमा हो सकता है, “असमबली ” या “सियासी असमबली ”
  • “मजलिस में होना” या’नी किसी बात का फ़ैसला लेने के लिए मजलिस में हाज़िर होना।
  • ध्यान दें कि यह लफ़्ज़“असमबली” से अलग है जिसका मतलब है, “अक़्लमन्दी की सलाह देना”

(यह भी देखें: मजलिस, जमा’त, फ़रीसी, क़ानून, काहिन, सदूकी, ‘आलिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4186, H5475, H7277, G1010, G4824, G4892