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शरी’अत, मूसा की शरी’अत, ख़ुदा की शरी’अत, यहोवा की शरी’अत

ता’अर्रुफ़:

ये सब लफ़्ज़ हुक्मों और इस्राईल के ‘अमल के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ मूसा को दिए गए हुक्मों का हवाला देते हैं। “शरी’अत” और “ख़ुदा की शरी’अत” अलफ़ाज़ ‘आम’तौर पर उन सब बातों के बारे में इस्ते’माल किए गए है जो ख़ुदा चाहता है कि उसकी क़ौम माने।

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “शरी’अत” का मतलब होगाः

  • पत्थर की पट्टियों पर इस्राईल के ‘अमल करने के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ दस हुक्म

  • मूसा को दिए गए सब कानून

  • पुराने ‘अहदनामे की पहली पांच किताबें

  • पूरा पुराना ‘अहदनामा (जिसे नये ‘अहदनामे में पाक कलाम कहा गया है।)

  • ख़ुदा के सब हुक्म और मर्ज़ी |

  • “शरी’अत और नबी” नये ‘अहदनामे में इब्रानी कलाम (या पुराना ‘अहदनामा) के लिए काम में लिया गया जुमला है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जमा’ में “शरी’अतें” किया जा सकता है क्योंकि वे कई हैं।
  • “मूसा की शरी’अत” का तर्जुमा हो सकता है, “इस्राईल को देने के लिए ख़ुदा ने मूसा को जो कानून सुनाए”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “मूसा की शरी’अत” का तर्जुमा, “मूसा को सुनाए गए ख़ुदा के कानून” या “मूसा के ज़रिए’ लिखे गए ख़ुदा के उसूलों” या "नियम जो कि ख़ुदा ने इस्राईलियों को देने के लिए मूसा को दिया था" के तौर पर हो सकता है।
  • “शरी’अत” या “ख़ुदा की शरी’अत” के तर्जुमा में, “ख़ुदा से हासिल उसूल” या “ख़ुदा के हुक्म” या “ख़ुदा ने जो कानून दिए” या “ख़ुदा के ज़रिए’ महकूम सब बातें” या “ख़ुदा के सब हुक्म” भी शामिल हो सकते है।
  • “यहोवा की शरी’अत” का तर्जुमा , “यहोवा की शरी’अत” या “ख़ुदा के ज़रिए’ ‘अमल के लिए लागू कानून” या “यहोवा के हुक्म के मुताबिक़ बातें” के तौर पर भी हो सकता है।

(यह भी देखें: हिदायत, मूसा, दस हुक्म, जायज़, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें:

  • 13:07 ख़ुदा ने और भी बहुत सी शरी’अतों व कवानीन का ‘अमल करने के लिये कहा। अगर वह लोग इन शरी’अतों का ‘अमल करेंगे, तो ख़ुदा अपने ‘अहद के मुताबिक़ उन्हें बरकत और उनकी हिफ़ाज़त करेगा। अगर वे इन कवानीन का ‘अमल नहीं करेंगे तो वह सज़ा के हक़दार बनेंगे।\
  • 13:09 जो कोई भी ख़ुदा के शरी’अतों को नज़रंदाज़ करता है, वह मिलापवाले तम्बू के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदा के लिये जानवर की क़ुर्बानी पेश करेगा\
  • 15:13 तब यशू’अ ने इस्राईलियों को वह ‘अहद याद दिलाया जो उन्होंने ख़ुदा के साथ सीनै पहाड़ पर बाँधा था, कि वह उसका ‘अमल करेंगे। इस्राईलियों ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहेंगे और उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
  • __16:01__यशूअ के मरने के बाद, इस्राएलियों ने ख़ुदा की आज्ञा का पालन नहीं किया और न ही ख़ुदा की व्यवस्थाओं का पालन किया और न ही बचे हुए कनानियो को बाहर निकाला।\
  • 21:05 नए ‘अहद में ख़ुदा अपनी शरी’अत उनके दिलों पर लिखेगा, और लोग ख़ुदा को जानेंगे कि वह ख़ुदा के लोग है, और ख़ुदा उनका गुनाह मु’आफ़ करेगा।\
  • 27:01 ‘ईसा ने जवाब दिया, “ख़ुदा की शरी’अत में क्या लिखा है?”\
  • 28:01 ‘ईसा ने उससे कहा, “तू मुझे अच्छा क्यों कहता है?” जो अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदा है। लेकिन अगर तू अबदी ज़िन्दगी का वारिस बनना चाहता है, तो ख़ुदा के हुक्मों पर ‘अमल करना।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H1881, H1882, H2706, H2710, H3068, H4687, H4872, H4941, H8451, G2316, G3551, G3565