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जायज़, जायज़, शरी’अत के तौर पर, जायज़ नहीं, ग़ैर-क़ानूनी, ग़लत
ता’अर्रुफ़:
“जायज़” मतलब शरी’अत या और ज़रूरतों के मुताबिक़ इजाज़त हासिल इसका उल्टा “शरी’अत के मुख़ालिफ़” या’नी “ग़लत”।
- किताब-ए-मुक़द्दस में, अगर किसी बात को “जायज़” कहा गया है तो इसका मतलब है कि वह ख़ुदा की शरी’अत में इजाज़त हासिल है, या मूसा की शरी’अत या यहूदी रवायतों के मुताबिक़। जो “शरी’अत के ख़िलाफ़”, “जिसकी इजाज़त नहीं दी गई थी” उन कानूनों के मुताबिक़
- “शरी’अत के मुताबिक़” करने का मतलब है, “जायज़” तौर पर करना या “सही” करना।
- यहूदी कवानीन में जो बहुत बातें जायज़ या नाजायज़ मानी जाती थीं लेकिन ख़ुदा की शरी’अत जो दूसरों से मुहब्बत करने के बारे में थी उससे दुरुस्त नहीं थी।
- मज़मून पर मुनहस्सिर तर्जुमा “जायज़” हो सकते हैं “इजाज़त हासिल” या “ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़” या “अपने क़वानीन के ‘अमल में” या “जायज़” या “दुरुस्त”
- “क्या यह जायज़ है” का तर्जुमा “क्या हमारी शरी’अत इजाज़त देती है?” या “क्या यह शरी’अत के मुताबिक़ है”
लफ़्ज़ “जायज़ नहीं” और नाजायज़” कानून तोड़ने वालों के लिए कामा में लिए जाते हैं|
- नए ‘अहदनामे में, लफ़्ज़ “नाजायज़” सिर्फ़ क़ानून तोड़ने वालों के लिए ही इस्ते’माल नहीं होता बल्कि उनके लिए भी है जो यहूदी इंसानों के बनाए हुए क़ानून को भी तोड़ता है
सालों बा’द, यहूदियों ने उन क़वानीन को भी शामिल किया जो ख़ुदा ने उनको दिए थे| यहूदी रहनुमा उसे “ग़ैरकानूनी” जो उनके बनाये हुए क़वानीन के मुताबिक़ नहीं होता| जब ‘ईसा और उसके शागिर्द जब सबत के दिन पर अनाज खा रहे थे, तब फ़रीसियों ने उन पर इलज़ाम लगाया थे “ग़ैर क़ानूनी” क्यूँकि उस दिन यहूदी काम करने के बारे में, यहूदी क़ानून तोड़ रहा था| जब पतरस ने कहा कि नापाक खाना खाने से उसके लिए ग़ैर क़ानूनी था, तो उसका मतलब था कि अगर उसने उन खाने की चीज़ों को खा लिया तो वह उन क़वानीन को तोड़ देगा जो ख़ुदा ने इसराईलियों को कुछ खाने के बारे में नहीं दिया था|
लफ़्ज़ “नाजायज़” उस आदमी के बारे में बताता है जो कानून और शरी’अत को नहीं मानता| जब एक मुल्क या जमा’अत “ग़ैर क़ानूनी” की हालत में है, तो बड़ी नाफ़रमानी, बग़ावत या ग़ैर-इख़लाक़ी है|
एक ग़ैरक़ानूनी आदमी बाग़ी और ख़ुदा की शरी’अत की नाफ़रमानी करने होता है| रसूल पौलुस ने लिखा था कि आख़िरी दिनों में “बुराई का आदमी” या “बुरा” होगा, जो शैतान के ज़रिए’ बुरी चीज़ों को करने के लिए मुतास्सिर
तर्जुमे की सलाह:
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इस लफ़्ज़ “ग़ैरक़ानूनी” का तर्जुमे किसी लफ़्ज़ या इज़हार का इस्ते’माल करके किया जाना चाहिए जिसका मतलब है “जायज़ नहीं” या “क़ानून तोड़ने वाला”|
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“ग़ैरक़ानूनी” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, जैसे “इजाज़त नहीं दी जा सकती” या “ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़” या “हमारे क़ानूनों के मुताबिक़”
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इज़हार “शरी’अत के ख़िलाफ़” और “नाफ़रमान” का मतलब एक ही है|
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“कानून न मानने वाला” लफ़्ज़ का तर्जुमा “बाग़ी” या “नाफ़रमान” या “क़ानून के ख़िलाफ़” भी किया जा सकता है|
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“क़ानून तोड़ना” लफ़्ज़ का तर्जुमा “किसी भी तरह के क़ानून का ‘अमल नहीं करना” या “बग़ावत (ख़ुदा के क़वानीन के ख़िलाफ़) के तौर पर किया जा सकता है|
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जमला “बुराई का आदमी” का तर्जुमा “आदमी जो किसी भी क़ानून का ‘अमल नहीं करता” या “वह इन्सान जो ख़ुदा के क़वानीन के ख़िलाफ़ बग़ावत करता है” के तौर पर भी किया जा सकता है|
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अगर मुमकिन हो तो इस लफ़्ज़ में “क़ानून” का तसव्वुर को रखना ज़रूरी है|
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ध्यान दें कि “ग़ैर-क़ानूनी” लफ़्ज़ का मतलब इस लफ़्ज़ से अलग है|
(यह भी देखें: कानून, शरी’अत, मूसा, सबत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- मत्ती 07:21-23
- मत्ती 12:1-2
- मत्ती 12:3-4
- मत्ती 12:9-10
- मरकुस 03:3-4
- लुक़ा 06:1-2
- रसूलों के ‘आमाल 02:22-24
- रसूलों के ‘आमाल 10:27-29
- रसूलों के ‘आमाल 22:25-26
- 2 थिस्सलुनिकियो 02:3-4
- तीतुस 02:14
- 1 युहन्ना 03:4-6
शब्दकोश:
- Strong's: H4941, H6530, H6662, H7386, H7990, G111, G113, G266, G458, G459, G1832, G3545