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रोटी

ता'अर्रुफ़:

रोटी, आटे में पानी और तेल मिलाकर बनाई जाती है। आटे को बेलकर रोटी की शक्ल देकर सेंका जाता है।

  • जब “रोटी” लफ्ज़ अकेला हो तो इसका मतलब है, रोटी।
  • रोटी के आटे को फूलाने के लिए उसमें खमीर मिलाया जाता है।
  • रोटी बिना खमीर के भी बनाई जाती है। * किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसी रोटी को “बे ख़मीरी रोटी” कहा गया है, यह रोटी यहूदी 'ईद के जशन में खाते थे।
  • रोटी किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में ख़ास खाना होता था, इसे खाने कि जगह में भी काम में लिया गया है। (देखें: इस्ते'माल)
  • “नज़र की रोटियां” घर के ख़ेमे या हैकल में ख़ुदावन्द को अदा की गई बारह रोटियां थी जिन्हें एक सोने की मेज पर रखा जाता था। ये रोटियां इस्राईल के बारह क़बीलों की नुमाइन्दगी करती थी और सिर्फ़ काहिन ही उन्हें खा सकता था। इसका तर्जुमा हो सकता है, “उनमें ख़ुदा की हाज़री के नज़र की रोटियां।”
  • 'अलामती लफ्ज़, “जन्नत की रोटी” खास सफेद रंग की अन्न, मन्ना के बारे में है, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों के लिए जंगल में इसका ज़िक्र किया था।
  • 'ईसा ने ख़ुद को “जन्नत से उतरने वाली रोटी” और “ज़िन्दगी की रोटी” कहा है।
  • 'ईसा अपने शागिर्दों के साथ 'ईद का खाना खा रहा था तब उसने अपने जिस्म को बेख़मीरी रोटी कहा था जो घायल की जायेगी और आख़िर में सलीब पर मार दी जायेगी।
  • कई जगहों में “रोटी” का तर्जुमा “खाना” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: 'ईद , ख़ेमा , हैकल , बेख़मीरी रोटी, ख़मीर )

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2557, H3899, H4635, H4682, G106, G740, G4286