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4.6 KiB

ख़मीर, ख़मीरी, ख़मीर, ख़मीर बनाना, बेख़मीरी

ता’अर्रुफ़:

"ख़मीर" एक पदार्थ के लिए एकआम लफ़्ज़ है जिसकी वजह रोटी का आटे को वसी'अ और ज़्यादा करना होता है। “ख़मीर” एक ख़ास तरह का ख़मीर होता है।

अंग्रेजी तर्जुमों में ख़मीर का तर्जुमा “यीस्ट” किया गया है। यह ज़्यादातर ख़मीर का तरीक़ा है जिससे आटे में झाग उठते हैं इससे पकाने के पहले आटा फूल जाता है। आटा गूंधते वक़्त उसमें ख़मीर मिलाया जाता है कि वह पूरे आटे में मिलाया जाए।

  • पुराने 'अहद नामे के वक़्त में ख़मीर पैदा करने के लिए आटे को कुछ वक़्त गूंधकर रख दिया जाता था * ख़मीर किए हुए आटे का एक हिस्सा रख दिया जाता था कि नये आटे को ख़मीर करने के काम में आए।
  • मिस्र से निकलते वक़्त इस्राईलियों के पास वक़्त नहीं था कि आटे को ख़मीर होने का इन्तिज़ार करें। जबकि उन्होंने रास्ते के लिए बेख़मीरी रोटियाँ बनाई थी। इस बात की याद में यहूदी हर साल 'ईद के पहले में बेख़मीरी खाया करते थे।
  • कलाम में ख़मीर को गुनाह के 'अलामती तौर में काम लिया गया है कि वह लोगों के पूरी ज़िन्दगी में फैल जाता है और लोगों को भी को भी मुता'अस्सिर करता है।
  • यह झूठी ता'लीम को भी बयान कर सकता है जो हमेशा कई लोगों तक फैलता है और उन्हें मुता'अस्सिर करता है।
  • “ख़मीर” को आम ताऊ में भी काम में लिया जाता है कि ख़ुदा की बादशाही कैसे लोगों से लोगों में फैल जाता है।

तर्जुमा की सलाह

  • इसका तर्जुमा “ख़मीर”या “वह चीज़ जो आटे को फुला देती है” या “फुलानेवाला पदार्थ” किया जा सकता है। * “फुलाना” का तर्जुमा “वसी'अ” या “हिशियार होना” या “फूल जाना” किया जा सकता है।
  • अगर आटे को ख़मीर करने के लिए कोई और मक़ामी चीज़ काम में ली जाती है तो तर्जुमा में उसका इस्ते'माल करें। अगर ज़बान को एक अच्छी तरह से जाना जाता है, आम लफ़्ज़ जिसका मतलब है, "ख़मीर करना," यह इस्ते'माल करने के लिए बेहतर लफ़्ज़ होगा।

(यह भी देखें: मिस्र, ‘ईद, बे ख़मीरी रोटी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H2556, H2557, H4682, H7603, G106, G2219, G2220