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ज़बान, ज़बानों

ता’अर्रुफ़:

“ज़बान ” के किताब-ए-मुक़द्दस में तमसीली इस्तेमाल भी हैं।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ का सबसे ज़्यादा आम तमसीली मतलब है, “ज़बान ” या “तक़रीर ”।
  • कभी-कभी "ज़बान " एक मुक़र्रर आदमियों के झुण्ड के ज़रिए’ बोली जाने वाली ज़बान का हवाला देता है।
  • कई बार यह एक फ़ितरती ज़बानों का हवाला देता है कि पाक रूह मसीह में ईमानदारों को "रूह का तोहफ़ा " की शक्ल में देता है।
  • “ज़बान की तरह आग की लपटें” या’नी आग की “लौ”।
  • ज़ाहिरयत में "मेरी ज़बान ख़ुश हुई," लफ़्ज़ "ज़बान " पूरे इन्सान को दिखाती है। (देखें :इल्मियत )
  • जुमले "झूठी बातें" एक आदमी की आवाज या तक़रीर का हवाला देता है। देखें:सिफ़त )

तर्जुमें की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “ज़बान ” लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है, “ज़बान” या “रूहानी ज़बान ” * अगर मतलब वाज़े’ न हो रहा हो तो इसका तर्जुमा “ज़बान ” ही करें।
  • आग के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “लौ” किया जा सकता है।
  • “मेरी ज़बान ख़ुशी करती है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुशी करता हूँ और ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ या “मैं ख़ुशी के साथ ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ”।
  • “झूठ बोलने वाली ज़बान ” का तर्जुमा हो सकता है, “आदमी जो झूठ बोलते हैं” या “जो लोग झूठ बोलते हैं”।
  • “उनकी ज़बानों से” जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उनके कलामों से” या “उनके लफ़्ज़ों से”।

(यह भी देखें: तोहफ़ा, पाक रूह , ख़ुशी, ता’रीफ़ , ख़ुशी करना, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे:

शब्दकोश:

  • Strong's: H762, H2013, H2790, H3956, G1100, G1258, G1447, G2084