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हम्द , हम्द , बड़ाई की,बड़ाई करते, बड़ाई की बात
ता’अर्रुफ़:
किसी की ता’रीफ़ करना या’नी उस इन्सान की पसंदीदगी और उसकी इज़्ज़त करना।
- इन्सान ख़ुदा की हम्द करता है क्योंकि वह अज़ीम है और उसने दुनिया को नजात देने और बनाने के हैरानी के काम किए हैं।
- ख़ुदा की हम्द में उसके कामों के लिए शुक्र होता है।
- ख़ुदा की हम्द में हमेशा साज़ और हम्द गीत होते हैं।
- ख़ुदा की हम्द उसकी इबादत का एक हिस्सा है।
- “हम्द करना” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी के बारे में अच्छी बात कहना” या “लफ़्ज़ों के ज़रिये’ बहुत इज़्ज़त ‘अता करना” या “किसी का मदह सराई करना”।
- “हम्द ” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा “इज्ज़तदार इन्सान ” या “इज़्ज़त का लक़ब देना” या “अच्छाईयों का बयान ”।
(यह भी देखें: इबादत )
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 2 कुरिन्थियों 01:3-4
- रसूलों के आमाल 02:46-47
- रसूलों के आमाल 13:48-49
- दानीएल 03:28
- इफिसियों 01:3-4
- पैदाइश 49:8
- याक़ूब 03:9-10
- यूहन्ना 05:41-42
- लूका 01:46-47
- लूका 01:64-66
- लूका 19:37-38
- मत्ती 11:25-27
- मत्ती 15:29-31
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 12:13 इस्राईलियों ने बहुत ख़ुश होकर ख़ुशी मनाया क्योंकि ख़ुदा ने उन्हें मौत व ग़ुलामी से बचाया! अब वह ख़ुदा की __इबादत __ करने की लिये आज़ाद थे |
- 17:08 जब दाऊद ने यह लफ़्ज़ सुने, उसने फ़ौरन ही ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी किया और उसकी __हम्द __ की, क्योंकि ख़ुदा ने दाऊद से अज़ीम इज़्ज़त और बहुत सी बरकतों का वा’दा किया था |
- 22:07 तब ज़करियाह ने कहा कि, “ख़ुदावन्द ख़ुदा __ हम्द__, क्योंकि उसने अपने लोगों पर नज़र की और उनका छुटकारा किया है |
- 43:13 और ख़ुदा की __हम्द __ करते हुए ख़ुशी करते थे और वे हर चीज़ एक दुसरे से बाटते थे |
- 47:08 उन्होंने पौलुस और सीलास को क़ैदख़ाने के सबसे हिफ़ाज़ती हिस्से में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था| फिर भी आधी रात को पौलुस और सीलास दुआ करते हुए ख़ुदा की __हम्द __ गा रहे थे |
शब्दकोश:
- Strong's: H1319, H6953, H7121, H7150, G1229, G1256, G2097, G2605, G2782, G2783, G2784, G2980, G3853, G3955, G4283, G4296