7.8 KiB
7.8 KiB
रूह , रूहें , रूहानी
त'अर्रुफ़:
“रूह ” इन्सान का वह ग़ैर जिस्मानी हिस्सा है जो दिखाई नहीं देता है। मरने के वक़्त रूह शरीर को छोड़ देती है। “रूह” लफ़्ज़ रवय्या या जज़्बात हालत को भी दिखता है।
- “रूह ” का शरीर नहीं होता है, ख़ास करके बदरूह का।
- इन्सान की रूह वह 'अज़ू है जो ख़ुदा को जानती है और उसमें ईमान करती है।
- “रूहानी ” लफ़्ज़ का 'आम मतलब है, ग़ैर जिस्मानी दुनिया का कोई भी वजूद ।
- कलाम में इसका बयान उस किसी भी बात से है जो ख़ुदा से त'अल्लुक़ रखती है, ख़ास करके पाक रूह से।
- मिसाल केतौर पर , “रूहानी खाना ” या'नी ख़ुदा की ता'लीमें जो इन्सान की रूह की परवरिश करती हैं। “रूहानी, अक़्ल” का मतलब \इल्म और रास्तबाज़ी के जैसा सुलूक जो पाक रूह की ताक़त से हासिल होता है।
- ख़ुदा रूह है और उसने दूसरे रूहानी मख़लूक़ात को पैदा किया है जिसके शरीर नहीं हैं।
- फ़रिश्ते रूहानी रूहें हैं इनमें ख़ुदा से बग़ावत करके बदरूह बननेवाली रूहें भी हैं।
- “रूह” लफ़्ज़ का मतलब “का सा किरदार” जैसे “'अक़्ल की रूह” या “एलियाह की रूह में”।
- रवय्या और जज़्बात के तौर में “रूह” के बारे में होगा, “खौफ़ की रूह ” या “हसद की रूह ”
तर्जुमा की सलाह:
- जुमले के मुताबिक़ “रूह” के तर्जुमा की कई शक्लें हो सकती हैं, “गैर जिस्मानी ” या “अन्दुरूनी हिस्सा ” या “अन्दुरूनी वजूद ”।
- कुछ बयानों में “रूह ” का तर्जुमा “बदरूह” या “बुरी रूहानी ” से हो सकता है।
- कभी-कभी “आत्मा” शब्द मनुष्य की भावना को व्यक्त करने के लिए काम में लिया जाता है जैसे “मेरी रूह अन्दर ही अन्दर परेशान थी”। इसका तर्जुमा “मेरी रूह परेशान थी” या “मुझे गहरा दुख़” हो सकता है।
- “की रूह” का तर्जुमा “का किरदार” या “का अन्दाज़” या “का रवय्या” या “सोच के ज़रिए' ख़ासियत” हो सकता है।
- ख़ुलासे के तौर पर, "रूहानी" का तर्जुमा "ग़ैर रूहानी" या " पाक रूह से" या "ख़ुदा" या "ग़ैर -जिस्मानी दुनिया का हिस्सा" की शक्ल में किया जा सकता है।
- मुनासिब जुमला " रूहानी दूध" का तर्जुमा "ख़ुदा की बुनियादी ता’लीम " या "ख़ुदा की ता'लीमों की शक्ल में भी किया जा सकता है जो रूह की परवरिश करते हैं (जैसे दूध करता है)।"
- जुमला रूहानी पुख़्तगी " का तर्जुमा "ख़ुदा के सुलूक के तौर पर किया जा सकता है जो पाक रूह की फ़रमाबरदारी करता है।"
- लफ़्ज़ "रूहानी तोहफ़ा " की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ास सलाहियत पाक रूह देता है ।
(यह भी देखें: फ़रिश्ते, बदरूह, पाक रूह , जान)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 05:3-5
- 1 यूहन्ना 04:1-3
- 1 थिस्सलुनीकियों 05:23-24
- रसूलों के 'आमाल 05:9-11
- कुलुस्सियों 01: 9-10
- इफ़िसियों 04:23-24
- पैदाइश 07:21-22
- यसा'याह 04: 3-4
- मरकुस 01:23-26
- मत्ती. 26:39-41
- फ़िलिप्पियों 01:25-27
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 13:03 तीसरे दिन तक, वह अपने आप को रूहानी शक्ल से तैयार करे ,जब ख़ुदा सीनै पहाड़ पर आया तो बादल गरजने और बिजली चमकने लगी और पहाड़ पर काली घटा छा गई फिर नरसिंगे की बड़ी ज़ोर से आवाज़ हई |
- 40:07 तब 'ईसा ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! ऐ बाप , मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ | ” तब 'ईसा का सिर झुक गया, और उसने अपनी रूह को ख़ुदा के हाथ में सौंप दिया |
- 45:05 जब स्तिफ़नुस मरने पर था, वह दु'आ करने लगा कि, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा 'ईसा मेरी रूह को क़ुबूल कर |”
- 48:07 सभी लोगों का झुण्ड'ईसा की वजह से मुबारक हुआ, क्यूँकि हर कोई जिसने 'ईसा पर ईमान किया अपने गुनाहों से छुटकारा पाया, और इब्राहीम का एक __रूहानी __ नसल बना |
शब्दकोश:
- Strong's: H178, H1172, H5397, H7307, H7308, G4151, G4152, G4153, G5326, G5427