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सुलह की क़ुर्बानी, सुलह की क़ुर्बानियों
सच्चाई:
“सुलह की क़ुर्बानी” ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ इस्राईल में जो क़ुर्बानियाँ पेश होती थी उनमें से एक यह भी थी। * इसे कभी-कभी “शुक्र की क़ुर्बानी” या “शराकत कीक़ुर्बानी” भी कहा गया है।
- इनमें एक बे’ऐब जानवर को क़ुर्बान किया जाता था और उस जानवर का ख़ून क़ुर्बान गाह पर छिड़का जाता था, उसकी चर्बी और जानवर को अलग जलाया जाता था।
- इस क़ुर्बानी के साथ बेख़मीरी रोटी तथा ख़मीरी रोटी दोनों की क़ुर्बानी चढ़ाई जाती थी जिन्हें आतिशी क़ुर्बानी के ऊपर जलाया जाता था।
- काहिन और ईमानदार दोनों को यह गोश्त खाने की इजाज़त थी।
- इस क़ुर्बानी में ख़ुदा को अपने लोगों के साथ शराकत ज़ाहिर होती थी।
(यह भी देखें: आतिशी क़ुर्बानी, शराकत, सुलह की क़ुर्बानी, अनाज की क़ुर्बानी, काहिन, क़ुर्बानी, बे ख़मीरी रोटी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H8002