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सोख़्तनी क़ुर्बानी, आतिशी कुर्बानियाँ, आग के ज़रिए’ हदिया
ता’अर्रुफ़:
“सोख़्तनी क़ुर्बानी” ख़ुदा के सामने क़ुर्बानगाह पर जलाई जाने वाली क़ुर्बानी है। यह क़ुर्बानी इन्सानों के गुनाह के क़फ़्फ़ारे के लिए थी। इसे “आतिशी कुर्बानी” भी कहते थे।
- इस क़ुर्बानी के जानवर अमूमन भेड़ या बकरी थे लेकिन बैल और परिन्दे भी चढ़ाए जाते थे।
- जिल्द को छोड़कर पूरा जानवर जला दिया जाता था। खाल या जिल्द काहिन को दे दी जाती थी।
- ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ यूहदियों को रोज़ दो सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करनी होती थी।
(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह, क़फ़्फ़ारा, बैल, काहिन, क़ुर्बानी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H801, H5930, H7133, H8548, G3646