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4.4 KiB

भाई, भाइयों

ता'अर्रुफ़:

“भाई” लफ़्ज़ हमेशा उस मर्द के बारे में होता है जिसके माँ/बाप किसी और के भी माँ/बाप हों ।

  • पुराने 'अहद नामें में “भाइयों” लफ़्ज़ रिश्ते के लिए एक 'आम लफ़्ज़ था जैसे एक ही क़बीला, ख़ानदान या क़ौम के अफ़राद ।
  • नये 'अहद नामें में रसूल 'आम तौर पर ईमानदारों को भाई कहते थे, 'औरत-मर्द दोनों को क्योंकि मसीह में सब ईमानदार एक ही रूहानी ख़ानदान के फ़र्द माने जाते थे जिनका आसमानी बाप ख़ुदा है।
  • कभी-कभी रसूलों ने ईमानदार 'औरतों के लिए भी बहन लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया या कि मर्द और 'औरत दोनों को मुख़ातिब किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर, या'क़ूब ज़ोर देकर सभी ईमानदारों के बारे में बात कर रहा है, जब वह "एक भाई या बहन को खाना या कपड़ों की ज़रूरत है" कहता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • अच्छा तो होगा कि इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उस लफ्ज़ से किया जाए जो सगे भाई लफ्ज़ से किया जाए जब तक कि इसका मतलब गलत न समझा जाए।
  • पुराने 'अहद नामें में खास करके “भाइयों” लफ्ज़ 'आम तौर पर एक ही ख़ानदान या एक ही क़बीला या एक ही क़ौम के अफ़राद के लिए काम में लिया गया है इसका मुमकिन तर्जुमा हो सकता है “ख़ानदान” या “क़बीले” या “इस्राईली भाई।”
  • मसीह में साथी-ईमानदार के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है “मसीही भाई” या “रूहानी भाई”।
  • अगर 'औरत मर्द दोनों की बात की जा रही है और भाई लफ़्ज़ का मतलब गलत समझा जा सकता है तो रिश्तों के 'आम तौर पर लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जिसमें 'औरत मर्द दोनों हों।
  • 'औरत-मर्द ईमानदारों के लिए काम में आनेवाला तर्जुमा लफ्ज़ हो सकता है, “ईमानदारों के साथी” या “मसीही भाई-बहन”।
  • जुमले पर ग़ौर दें कि सिर्फ़ मर्दों को मुख़ातिब किया गया है या 'औरत - मर्द दोनों को।

(यह भी देखें:रसूल , ख़ुदा बाप, बहन, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H251, H252, H264, H1730, H2992, H2993, H2994, H7453, G80, G81, G2385, G2455, G2500, G4613, G5360, G5569