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बहन, बहनों
ता’अर्रुफ़:
बहन माँ या बाप के रिश्ते से किसी की 'औरत रिश्तेदार होती है। उसे कहा जाता है कि दूसरे शख़्स की बहन या उस शख़्स की बहन ।
- नए 'अहद नामे में "बहन" लफ़्ज़ का तम्सीली इस्ते'माल मसीह 'ईसा में ईमान करनेवाली 'औरतों के लिए किया जाता है।
- कभी-कभी,"भाइयों और बहनों" लफ़्ज़ मसीह के सब ईमानदार मर्द-ओ-’औरत के लिए इस्ते'माल किया गया है।
- पुराने 'अहद नामे की किताब ख़ास गीतों में "बहन" लफ़्ज़ 'आशिक़ या शरीक़-ए-हयात के लिए इस्ते'माल किया गया है।
तर्जुमा की सलाह:
- और बेहतर होगा कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जैसे है वैसे ही करें, जब तक कि इसका मतलब ग़लत न हो।
- इसके कई तर्जुमा की शक्लें हो सकती हैं, “मसीह में बहन” या “रूहानी बहन” या “मसीह की ईमानदार 'औरत” या “ईमानदार 'औरत '”।
- मुम्किन हो तो ख़ानदानी लफ़्ज़ काम में लेना सबसे बेहतर है।
- अगर 'अलामती ज़बान में ईमानदार लफ़्ज़ को 'औरतों की शक्ल हो तो इसे काम में लेना मुनासिब तर्जुमा हो सकता है।
- ‘आशिक़ या बीवी के बारे में “प्यारे” या “'अज़ीज़” 'औरतें लफ़्ज़ को काम में ले।
(यह भी देखें: भाई मसीह में, रूह )
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H269, H1323, G27, G79