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सख़्त , हठीला, मग़रूर होकर,सख़्ती
ता'अर्रुफ़:
“हठीले”, कलाम में इस्ते'माल किया जाने वाला जुमला है जो उन लोगों के लिए है जो ख़ुदावन्द के हुक्म न मानते हैं और तौबा करने से इन्कार करते हैं। ऐसे लोग बहुत मग़रूर होते है और ख़ुदावन्द के इख़्तियार के ताबे' नहीं होते है।
- इसी तरह, "हठीला" लफ़्ज़ का बयान उस जुमले के बारे में किया गया है, जिसने ऐसा करने के लिए कहा जाने पर भी अपनी सोच या काम बदलने से इन्कार कर दिया है। हठीले लोग अच्छी सलाह या ख़बरदारी नहीं सुनेंगे जो दूसरे लोग उन्हें देते हैं।
- पुराने 'अहद नामे ने इस्राईलियों को "ज़िद्दी" कहा क्यूँकि उन्होंने ख़ुदावन्द के नबियों से बहुत से पैग़ाम नहीं सुने, जिन्होंने उन्हें तौबा करने और यहोवा के पास वापस लौटने दरख़्वास्त की |
- अगर एक गर्दन "सख़्त" है तो यह आसानी से मुड़ता नहीं । मक़सदी ज़बान में एक अलग मुहावरे हो सकते हैं जो बात करता है कि कोई शख्स "बे बुनियाद " है जिसमें वह अपने तरीक़े को बदलने से इनकार करता है ।
- इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के दूसरे तरीक़ों में " तकब्बुर ज़िद्दी" या " मग़रूर और ग़ैर जिस्मानी" या "बदलाव करने से इन्कार कर सकते हैं" शामिल हो सकते हैं।
(यह भी देखें: तकब्बुर , मग़रूर, तौबा करना)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H47, H3513, H5637, H6203, H6484, H7185, H7186, H7190, H8307, G483, G4644, G4645