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बे‘इज़्ज़त, बे‘इज़्ज़त, शर्म, शर्मनाक , शर्मिंदगी से, बे शर्म, बे शर्मी से,शर्म, बे‘इज़्ज़त नहीं
ता’अर्रुफ़:
“शर्मनाक” लफ़्ज़ लोगों की बे‘इज़्ज़त के एहसास के बारे में है या'नी बे‘इज़्ज़त या ग़लत काम जो किसी ने किया।
- “शर्मनाक बात” या'नी “ग़लत ” या “नाक़ाबिले क़ुबूल ” काम।
- “बे‘इज़्ज़त” लफ़्ज़ का मतलब है किसी शर्मनाक काम को करने पर लोगों के मन में पैदा होने वाले एहसास ।
- “ शर्मनाक करना” या'नी किसी को हरा देना या उसके गुनाहों को ज़ाहिर करना कि उसे अपने पर शर्म आए।
- यसा'याह नबी यह कहता है कि जो बुत बनाते हैं और बुत परस्ती करते हैं वह बे‘इज़्ज़त किए जाएंगे।
- ख़ुदावन्द तौबा न करने वाले के गुनाह ज़ाहिर करके और उसे ज़लील करके बे‘इज़्ज़त करेगा।
(यह भी देखें: झूठे मा’बूद, हलीमी , ज़लालत , यसा'याह, तौबा, गुनाह, ‘इबादत)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H937, H954, H955, H1317, H1322, H2616, H2659, H2781, H3001, H3637, H3639, H3640, H6172, H7022, H7036, H8103, H8106, G127, G149, G152, G153, G422, G808, G818, G819, G821, G1788, G1791, G1870, G2617, G3856, G5195