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हलीम, हलीम, हलीम बनाया, हलीमी
ता’अर्रुफ़:
“हलीम” लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया जाता है जो अपने आपको औरों से बड़ा नहीं समझता है। वह न तो घमण्डी है न मग़रूर है। हलीमी हलीम होने की खुसीसियतहै।
- ख़ुदा के सामने हलीम होने का मतलब है ख़ुदा की बड़ाई, अक़्ल और कामिलियत के सामने अपने आप की कमज़ोरी और नाकामिलियत को समझना।
- इन्सान अगर हलीम बने तो वह ख़ुद को कम हैसियत के मक़ाम में रखता है।
- हलीमी का मतलब है अपने से ज़्यादा दूसरों की ज़रूरत की ख़बर लेना।
- हलीमी का मतलब यह भी है कि अपने ने’मतों तथा क़ाबिलियत के इस्ते’माल के वक़्त किसी की ख़िदमत में हदों का ‘अमल करना।
“हलीम बनो” का तर्जुमा, “मग़रूर न होना” हो सकता है।
- “ख़ुदा के सामने हलीम बनो” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई को क़ुबूल करके अपनी मर्ज़ी से ख़ुदा के ताबे’ कर दो”।
(यह भी देखें: घमण्ड
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- या’क़ूब 01:19-21
- या’क़ूब 03:13-14
- या’क़ूब 04:8-10
- लूक़ा 14:10-11
- लूक़ा 18:13-14
- मत्ती 18:4-6
- मत्ती 23:11-12
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:
- 17:02 दाऊद एक बहुत ही __ हलीम__ व रास्तबाज़ आदमी था, जो ख़ुदा के हुक्मों का फ़रमाबरदारी करता था।
- 34:10 “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह(ख़ुदा)हलीम करेगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”
शब्दकोश:
- Strong's: H1792, H3665, H6031, H6035, H6038, H6041, H6800, H6819, H7511, H7807, H7812, H8213, H8214, H8215, H8217, H8467, G858, G4236, G4239, G4240, G5011, G5012, G5013, G5391