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7.2 KiB

फल, फलों, फलदार, बेफल

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “फल” का मतलब पेड़ के उस हिस्से से है जो खा सकते हैं| कुछ भी “फलदार” है जो बहुत फलदायक है। किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ को ‘अलामती तौर भी काम में लिया गया है।

  • किताब मुक़द्दस में “फल” लफ़्ज़ अक्सर इन्सान के ‘आमाल के लिए काम में लिया गया है। जिस तरह कि फल ज़ाहिर करता है कि पेड़ कैसा है उसी तरह इन्सान के अलफ़ाज़ और ‘आमाल ज़ाहिर करते हैं कि उसका किरदार कैसा है।
  • इन्सान अच्छे या बुरे रूहानी फल पैदा कर सकता है, लेकिन “फलदार” का मतलब हमेशा ही सही है या’नी बहुत अच्छे फल लाना।
  • लफ़्ज़ “फलदार” का ‘अलामती मतलब है, “ख़ुशगवार” इसका हवाला अक्सर अनेकी औलाद और नसल और खाने की कसरत तथा दौलत से है।
  • ‘आमतौर पर, इज़हार “का फल” का मतलब है किसी से पैदा कोई बात। मिसाल के तौर पर, “’अक़्ल का फल” का मतलब है ’अक़्लमन्द होने के अंजाम में अच्छी चीजें पाना|
  • इज़हार “ज़मीन का फल” का मतलब उन सभी चीज़ों से है जो खाने के लिए ज़मीन देती है| इसमें न सिर्फ़ फल जैसे कि खजूर और अंगूर ही नहीं, सब्जियाँ, मेवे और अनाज भी शामिल है।
  • ‘अलामती इज़हार “रूह का फल” फरमाबरदार इन्सानों में पाक रूह के ज़रिए’ पैदा ख़ुदा की ‘इबादत की ख़ुसीसियत|
  • इज़हार “हमल का फल” का मतलब है जो ‘औरत पैदा करती है” जो बच्चा है|

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फल” के लिए ‘आम लफ़्ज़ के ज़रिए’ ही किया जाए तो अच्छा होगा, जो ‘आम तौर मक़सदी ज़बान में इस्ते’माल होता है जिसका मतलब है एक फलदार पेड़ का खाने वाला फल| कई ज़बानों में जमा’ लफ़्ज़ “फलों” ज़्यादा क़ुदरती होगा।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “फलदार” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा रूहानी फल पैदा करना” या “बहुत औलाद होना” या “ख़ुसगवार होना”
  • इज़हार “ज़मीन की पैदावार” का तर्जुमा “ज़मीन के ज़रिए’ पैदा खाना” या “उस इलाक़े की फसल”।
  • जब ख़ुदा ने जानवर और इन्सान की तख़लीक की, तब उसने उन्हें हुक्म दिया “फलदार हो और ज़रब हो” जिसका मतलब है बहुत ज़्यादा औलाद होना| इसका तर्जुमा “बहुत औलाद होना” या “बहुत औलाद और नसलें होना” या “बहुत औलाद होना कि बहुत नसलें हों” हो सकता है|
  • इज़हार “हमल का फल” का तर्जुमा हो सकता है, “हमल से पैदा” या “’औरत के ज़रिए’ पैदा औलाद” या सिर्फ़ “औलाद”। जब इलीशिबा ने मरियम से कहा, “मुबारक है तेरे रिहम का फल,” तो उसका मतलब था “जिस बच्चे को तू पैदा करेगी वह मुबारक है”। मक़सदी ज़बान में इस जुमले के लिए मुख़्तलिफ़ इज़हार हो सकते हैं।
  • एक और इज़हार “अँगूर का फल” का तर्जुमा “अँगूर की बेल का फल” या “अंगूर” हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनह्स्सिर, “ज़्यादा फलदार होना” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा फल देगी” या “ज़्यादा औलाद होगी” या “ख़ुसगवार होगे”।
  • रसूल पौलुस का इज़हार “फलदार मज़दूरी” का तर्जुमा हो सकता है, “अच्छे नतायज लाने वाला काम” या “मसीह में ईमान करने के लिए काम को लाने वाली कोशिश”।
  • “रूह का फल” का तर्जुमा “पाक रूह के ज़रिए’ पैदा काम” या “लफ़्ज़ और काम जिनसे ज़ाहिर हो कि पाक रूह इन्सान में काम करती है” हो सकता है।

(यह भी देखें: नसल, अनाज, अंगूर, पाक रूह, अँगूर की बेल, हमल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3, H4, H1061, H1063, H1069, H2173, H2233, H2981, H3206, H3581, H3759, H3899, H3978, H4022, H4395, H5108, H5208, H6500, H6509, H6529, H7019, H8256, H8393, H8570, G1081, G2590, G2592, G2593, G3703, G5052, G5352, G6013