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नज़ीर, नज़ीरों, नज़ीर की क़सम
सच्चाई:
“नज़ीर” वह इन्सान था जो नज़ीर होने की क़सम लेता था। ज़्यादातर आदमी यह क़सम लेते थे लेकिन ‘औरतें भी इस क़सम को लेती थी।
- नज़ीर इन्सान मुक़र्ररा दिनों सप्ताहों या महीनों तक अंगूर का या अंगूर के रस का कोई ऐसी चीज़ या शराब या रस नहीं खाता-पीता था। इस ‘अरसे के दौरान वह अपने बाल काट नहीं सकते और मुर्दे के पास नहीं जा सकते थे।
जब वक़्त पूरा हो जाता था और क़सम पूरी हो जाती थी तब नज़ीर काहिन के पास जाकर क़ुर्बानी पेश करता था। इसमें उसके बालों को काटकर जलाया जाता था। और दीगर सब पाबंदी वाली बातों का ख़ात्मा हो जाता था।
- शमसून किताब-ए-मुक़द्दस में एक मशहूर आदमी है जो नज़ीर था।
- युहन्ना बपतिस्मा देने वाले को पैदाइश की नबूव्वत करते वक़्त फ़रिश्ते ने ज़करियाह से कहा था कि उसका यह बेटा शराब नहीं पिएगा, जिसका मतलब है कि वह एक नज़ीर था।
- रसूल पौलुस ने भी एक वक़्त यह क़सम ली थी जो रसूलों के ‘आमाल की किताब के एक हिस्से से ज़ाहिर है।
(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा)
(यह भी देखें: युहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), क़ुर्बानी, शमसून, क़सम, ज़करियाह (पुराना ‘अहदनामा))
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H5139