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मन्नत, मन्नतें, क़सम खाई

ता’अर्रुफ़:

मन्नत एक क़सम है जो इन्सान ख़ुदा के सामने करता है। इन्सान ख़ुदा के ख़ास अदब में या उसके लिए दीनदारी के लिए कुछ करने का ‘अहद करता है।

  • मन्नत मानने के बाद इन्सान उसे पूरा करने के लिए मजबूर हो जाता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के मुताबिक़ इन्सान मन्नत पूरी न कर पाए तो ख़ुदा से सज़ा पाता है।
  • कभी-कभी इन्सान मन्नत मानता है कि ख़ुदा उसकी हिफ़ाज़त करे उसकी ख़बर ले तो वह कोई एक काम ख़ुदा के लिए करेगा।
  • लेकिन ज़रूरी नहीं कि ख़ुदा उसकी मांग को पूरा करे।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ , “मन्नत” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक’अहद ” या “ख़ुदा से किया गया वा’दा ”।
  • मन्नत एक ख़ास तरह की क़सम है जो ख़ुदा को दी जाती है।

(यह भी देखें: ‘अहद, क़सम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5087, H5088, G2171