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मन्नत, मन्नतें, क़सम खाई
ता’अर्रुफ़:
मन्नत एक क़सम है जो इन्सान ख़ुदा के सामने करता है। इन्सान ख़ुदा के ख़ास अदब में या उसके लिए दीनदारी के लिए कुछ करने का ‘अहद करता है।
- मन्नत मानने के बाद इन्सान उसे पूरा करने के लिए मजबूर हो जाता है।
- किताब-ए-मुक़द्दस के मुताबिक़ इन्सान मन्नत पूरी न कर पाए तो ख़ुदा से सज़ा पाता है।
- कभी-कभी इन्सान मन्नत मानता है कि ख़ुदा उसकी हिफ़ाज़त करे उसकी ख़बर ले तो वह कोई एक काम ख़ुदा के लिए करेगा।
- लेकिन ज़रूरी नहीं कि ख़ुदा उसकी मांग को पूरा करे।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़ , “मन्नत” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक’अहद ” या “ख़ुदा से किया गया वा’दा ”।
- मन्नत एक ख़ास तरह की क़सम है जो ख़ुदा को दी जाती है।
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- 1 कुरिन्थियों 07:27-28
- रसूलों के 'आमाल 21:22-24
- पैदाइश 28:20-22
- पैदाइश 31:12-13
- युनाह 01:14-16
- यूनाह 02:9-10
- अम्साल 07:13-15
शब्दकोश:
- Strong's: H5087, H5088, G2171