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4.6 KiB

‘अहद, ‘अहद, क़सम खा, क़सम खाए, क़सम खाकर, क़सम खाके, की क़सम खाता है

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “’अहद” का मतलब है किसी काम को करने का फ़ौरी वा’दा। ‘अहद मानने वाले के लिए ज़रूरी है कि वह उस वा’दे को पूरा करे। ‘अहद में ईमदार और सच्चा होने का वा’दा होता है।

  • एक ‘अदालत के कानून में, गवाह क़सम खाता है कि वह जो भी कहेगा वह सच और हक़ीक़त होगा।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “क़सम” खाने का मतलब है न टूटने वाला ‘अहद करना ।
  • लफ़्ज़ “की क़सम खाना” का मतलब किसी चीज़ या इन्सान के नाम को बुनियाद या ताक़त मानना जो ‘अहद बना है|
  • कभी-कभी इन दोनों अलफ़ाज़ को एक साथ काम में लिया जाता है, “क़सम और ‘अहद”।
  • इब्राहीम और अबीमलिक ने क़सम खाई थी, जब उन्होंने कुएं को एक साथ इस्ते’माल करने का ‘अहद बाँधा था|
  • इब्राहीम ने अपने ख़ादिम को क़सम (फ़ौरी वा’दा) खाने के लिए कहा था, कि वह इब्राहीम के ख़ानदानों में से इस्हाक़ के लिए बीवी लाएगा।
  • ख़ुदा भी क़सम खाता था जिसमें वह अपने लोगों से वा’दा करता था।
  • आज के दिनों में लफ़्ज़ “Swear” का मतलब है “गन्दी ज़बान का इस्ते’माल करना”। किताब-ए-मुक़द्दस में इसका ऐसा मतलब नहीं है।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “क़सम” का तर्जुमा “’अहद बाँधना” या “न टूटने वाला वा’दा करना”
  • “क़सम” का तर्जुमा “फ़ौरी वा’दा करना” या “’अहद करना” या “किसी काम को करने का वा’दा करना”।
  • “मेरे नाम की क़सम खाना” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “मेरे नाम का इस्ते’माल कर तस्दीक करने के लिए वा’दा करना”
  • “आसमान और ज़मीन की क़सम खाना” का तर्जुमा “कुछ करने के लिए वा’दा करना, बताना कि आसमान और ज़मीन उसकी तस्दीक करते हैं”।
  • यक़ीनी बनाएं कि “क़सम खाना” या “’अहद करना” का मतलब ला’नत से न हो। किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसा कोई मतलब नहीं है।

(यह भी देखें: अबीमलिक, ‘अहद, क़सम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H422, H423, H3027, H5375, H7621, H7650, G332, G3660, G3727, G3728