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बढाना, बुलन्द किया, ज़्यादा से ज़्यादा, ता'ज़ीम

ता'अर्रुफ़:

ऊँचा करना किसी की बहुत ज़्यादा ता'रीफ़ करना और 'इज़्ज़त देना। इसका मतलब किसी को ऊँची जगह पर रखना भी है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में ऊँचा करने का मतलब ख़ुदा को बढ़ाने के लिए इस्ते'माल किया जाता है।
  • जब इंसान अपनी बड़ाई करता है तब वह घमण्ड करता है और अपने बारे में मग़रूर है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “बुलन्द करने” के तर्जुमें के तरीक़े हो सकते है “बहुत ज़्यादा ता'रीफ़” या “इन्तिहाई 'इज़्ज़त देना” या “ता’रीफ़ करना” या “किसी के बारे में ऊँची सोंच ज़ाहिर करना”।
  • कुछ जुमलों में इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों या जुमलों के ज़रिए’ हो सकता है जिन का मतलब, “ऊँची जगह पर रखना” या “ज़्यादा 'इज़्ज़त देना” या “फ़ख्र से कहना”
  • “अपनी बड़ाई मत करो” का तर्जुमा “अपने को बड़ा मत समझ” या “अपने बारे में बुरा न करें ”।
  • “जो अपने आपको बड़ा समझते हैं” इसका तर्जुमा, “जो अपने पर घमण्ड करते हैं” या “जो मग़रूर हैं”

(यह भी देखें:ता'रीफ़, 'ईबादत, जलाल, घमण्ड, घमण्डी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1361, H4984, H5375, H5549, H5927, H7311, H7426, H7682, G1869, G5229, G5251, G5311, G5312