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8.8 KiB

जलाल,जलाल से मा’मूर, ता’रीफ़, ता'रीफ़ करता है

ता’अर्रुफ़:

'आमतौर, “जलाल” का मतलब है, ‘इज़्ज़त, शान-ओ-शौकत और बहुत बड़ाई। जिसमें जलाल हो वह "जलाल से मा’मूर" कहलाता है।

  • कभी-कभी "जलाल" का मतलब बहुत क़ीमती और ख़ास भी होता है। कई बयानों में इसका मतलब, शान-ओ-शौकत, रोशनी या फ़ैसला भी होता है।
  • मिसाल के लिए, "चरवाहों की शान" का मतलब हरी चरागाहों को बताता है जहाँ उनके भेड़ों को खाने के लिए बहुत घास होती है।
  • ख़ास तौर से बड़ाई करके ख़ुदा का बयान करने में काम में ली जाती है क्यूँकि वह सारी दुनिया में सबसे ज़्यादा जलाल से मा'मूर है उसके जुमले में हर एक बात उसकी शान और उसकी शौकत को ज़ाहिर करती है।
  • जुमले "बड़ाई करने के लिए" का मतलब है कि कुछ के बारे में ग़ुरूर करना या फ़ख्र करना

“बड़ाई करे” या'नी किसी चीज़ या आदमी की 'इज़्ज़त और उसकी बड़ाई को ज़ाहिर करना । इसका असल मतलब है, “ता'रीफ़ करना”।

  • इन्सान ख़ुदा के अजीब कामों को बयान करके उसकी बड़ाई कर सकते हैं |
  • वह ख़ुदा की बड़ाई भी कर सकते है इस तरीक़े से जीकर की उसे 'इज़्ज़त मिले और दिखाते हुए की वह कितना अज़ीम और शानदार है।
  • कलाम में लिखा है कि ख़ुदा अपना जलाल ज़ाहिर करता है तो इसका मतलब है कि वह लोगों पर अपनी हैरत अँगेज़ काम ज़ाहिर करता है, जो हमेशा मो'जिज़ों के ज़रिए' होता है।
  • बाप ख़ुदा, बेटा ख़ुदा के जलाल का बेटे का कमाल , उसकी शान और 'अज़मत को ज़ाहिर करता है।
  • मसीह में ईमान करनेवाला हर एक शख़्स उसके साथ जलाल पाएगा। जब ज़िन्दगी के लिए उनका नया जन्म होगा तब वह उसके जलाल को ज़ाहिर करने के लिए तब्दील हो जाएंगे और तमाम तख्लीक़ पर उसका फ़ज़ल ज़ाहिर होगा।

तर्जुमा के लिए सलाह:

जुमलों के तौर पर "जलाल" का तर्जुमा कई तरीक़े से हो सकता है "अमन" या "रोशनी" या "’अज़मत" या"शानदार "’अज़ीमी" या इन्तिहाई क़द्र सामिल हो सकती है |

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “को जलाल देना” या “जलाल से भरा हुआ ” या “'अज़ीम दिखाई देने की वजह होना”।
  • मज़मून "ख़ुदा को जलाल दें" का तर्जुमा "ख़ुदा की 'अज़मत का ‘एजाज़" या "उसकी बड़ाई की वजह से ख़ुदा की ता'रीफ़ " या "दूसरों को बताएं कि ख़ुदा कितना 'अज़ीम है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
  • मज़मून "जलाल" का तर्जुमा "'इज़्ज़त" या "फ़ख्र में" या "ग़ुरूर" या "ख़ुशी लेने" की शक्ल में भी किया जा सकता ह

"जलाल" का तर्जुमा "जलाल देना" या "जलाल लाने" या "’अज़ीम दिखने की वजह " की शक्ल में भी किया जा सकता है।

  • “ख़ुदा की बड़ाई करना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई करना” या “ख़ुदा की 'अज़मत का ज़िक्र करना” या “दिखाना कि ख़ुदा कैसा 'अज़ीम है”, या “ख़ुदा की (हुक्म की ‘इता’अतकरते हुए )एहतराम करना”।
  • लफ़्ज़ "जलाल हो" का तर्जुमा भी किया जा सकता है, "बहुत बड़ा होना दिखाया जाए" या "ता'रीफ़ की जाए" या "बुलंद हो।"

(यह भी देखें: बड़ाई करना, महिमा, फ़रमाबरदारी , बड़ाई )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 23:07 तब अचानक फ़रिश्तों का झुण्ड ख़ुदा की ता'रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आसमान में ख़ुदा बड़ाई और ज़मीन पर उन लोगों में जिनसे वह ख़ुश है, अमन हो ।”
  • 25:06 फिर शैतान ने 'ईसा को निया की सारी सल्तनतों और उसकी शान-ओ-शौकत दिखाकर उससे कहा, “अगर तू गिरकर मुझे सिज्दा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।”
  • 37:01 यह सुनकर 'ईसा ने कहा, “यह बीमारी मौत की नहीं; लेकिन ख़ुदा के जलाल के लिए है।"
  • 37:08 ‘ईसा ने जवाब दिया , “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा था कि अगर तू मुझ पर यक़ीन करेगी, तो ख़ुदा के जलाल को देखेगी?”

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H142, H155, H215, H1342, H1921, H1922, H1925, H1926, H1935, H1984, H2892, H3367, H3513, H3519, H3520, H6286, H6643, H7623, H8597, G1391, G1392, G1740, G1741, G2620, G2744, G2745, G2746, G2755, G2811, G4888