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यक़ीन, यक़ीन करे, यक़ीन किया, ईमानदार, ईमान, बे-ईमान, बे-ईमानों , बे-ईमान,
ता'अर्रुफ़:
“यक़ीन” और “ में यक़ीन करना” क़रीबी रिश्ते में हैं लेकिन इसके मा'ने में फ़र्क बहुत कम है।
1.ईमान
- यक़ीन करने के लिए कुछ यह कुबूल या यक़ीन है कि यह सच है |
- यक़ीन करने के लिए किसी को ये तस्लीम करना है कि क्या उस शख्स ने सच कहा है |
2. यक़ीन करना
- "यक़ीन रखना " किसी शख्स को " उस पर यक़ीन रखना " का मतलब है| * उस पर यक़ीन करने का मतलब है कि इन्सान वही है कि जो कहता है कि वह है, कि वह हमेशा सच बोलता है , और वह वही करेगा जो उसने करने का वा'दा किया है |
- जब कोई शख्स वाक़'ई किसी चीज़ पर यक़ीन रखता है तो वह ऐसे तरीक़े से काम करेगा जो उस 'अक़ीदे को ज़ाहिर करता है |
- उस जुमले में "ईमान लाए "'आम तौर पर उसी मा'ने में "ईमान लाए "है |
- " 'ईसा में यक़ीन रखना " का मतलब ये है कि वह ख़ुदा का बेटा है, ये कि वह ख़ुद ही ख़ुदा है जो इन्सान बन गया और हमारे गुनाहों की अदाइगी करने के लिए जो क़ुर्बानी के तौर पर मर गया | * उसका मतलब ये है कि उसे नजाते दहिन्दा के तौर पर 'ऐतमाद करना और उसी तरह से उसकी 'इज़्ज़त करना है |
किताब-ए-मुक़द्दस में "जो शख्स ईमान लाता है और 'ईसा मसीह पे नजात दहिन्दा के तौर पर अनह्सार करती है उस से मुराद है "
- लफ्ज़ी मा'ने का मतलब है " जो शख्स ईमान लाता है "
- लफ्ज़ मसीही " आख़िर कार ईमानदारों के लिए ख़ास 'अन्वान बन गया क्यूँकि यह इशारा करता है कि मसीह में ईमान रखते हैं और उनकी ता'लीमात की इता'अत करते हैं |
" बे 'ऐतक़ाद "किसी चीज़ या किसी को यक़ीन नही करता, |
- किताब-ए-मुक़द्दस में, "बे-ईमानी" 'ईसा पर 'ऐतमाद नही करता या भरोसा नही करता है कि वह एक नजात दहिन्दा है|
- एक शख्स जो 'ईसा के बारे में ईमान नही रखता , "उसे बे ईमान "कहा जाता है |
तर्जुमा की सलाह :
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“यक़ीन करने” का तर्जुमा हो सकता है“जानना कि सच क्या है” या “अच्छा होने का 'इल्म ” किया जा सकता है।
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"यक़ीन रखने" के तौर पर " मुकम्मल तौर पर 'ऐतमाद " या " 'ऐतमाद और इता'अत " के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है या " मुकम्मल तौर पर 'अमल करें |"
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कुछ तर्जुमा शायद " 'ईसा में मोमिन " या मसीह " में ईमान लाने के लिए तरजीह देते हैं |
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यह लफ्ज़ का तर्जुमा भी किया जा सकता है जिसका मतलब है "कि जो शख्स 'ईसा पर 'एतमाद रखता है "या "जो कोई 'ईसा को जान्ता है और उसके लिए ज़िन्दा रहता है "
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तर्जुमा करने का दूसरा तरीक़ा " 'ईसा का पैरोकार "या " जो शख्स 'ईसा को जानता है और उसकी इता'अत करता है" हो सकता है |
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मसीह में किसी ईमानदार के लिए एक 'आम लफ्ज़ है, जबकि " शागिर्द और रसूल ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है जो 'इसा को जानता था जबकि वह ज़िन्दा था | ये सबसे बहतर है कि उन शरायत को मुख्तलिफ़ तरीक़ों से तर्जुमा करें, ताकि उन्हें अलग रखने के लिए |
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"बे 'ऐतक़ाद"तर्जुमा करने के दुसरे तरीकों में " ईमान की कमी"या" ईमान नहीं लाना"शामिल हो सकता है |
"जो शख्स 'ईसा में यक़ीन नहीं करता " या"किसी ऐसे शख्स को जो नजात दहिन्दा के तौर पर 'ईसा में 'एतमाद नही है " पर तर्जुमा किया जा सकता है |
(यह भी देखें: \ ईमान , \ रसूल , \ 'ईसाई , \ शागिर्द , \ यक़ीन , \ 'ऐतमाद )
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
- पैदाईश15:6-8
- पैदाईश 45:24-26
- अय्यूब 09:16-18
- हबक्कूक़ 01:5-7
- मरक़ुस 06:4-6
- मरक़ुस 01:14-15
- लुक़ा 09:41-42
- युहन्ना 01:12-13
- रसूलों के 'आमाल 06:5-6
- रसूलों के 'आमाल 09:40-43
- रसूलों के 'आमाल28:23-24
- रोमियों 03:3-4
- 1 कुरिन्थियों 06:1-3
- 1कुरिन्थियों 09:3-6
- 2 कुरिन्थियों 06:14-16
- 'इबरानियों 03:12-13
- 1 युहन्ना 03:23-24
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:
- 03:04 नूह ने लोगों को बाढ़ के बारे में आगाह किया, और कहा कि ख़ुदा की तरफ़ दिल फिराओ पर उन्होंने नूह पर यक़ीन नहीं किया।
- 04:08 अब्राम ने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया। ख़ुदा ने 'ऐलान किया कि अब्राम रास्तबाज़ है, क्योंकि उसने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया है।
- 11:02 ख़ुदा ने कहा कि, वह इन्सान जो उस पर यक़ीन करेंगा वह उसके पहिलौठे बेटे को बचाएगा।
- 11:06 लेकिन मिस्रियों ने ख़ुदा पर यक़ीन नहीं किया था या उनके हुक्मों की इता'अत नहीं की थी |
- 37:05'ईसा ने जवाब दिया " मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ | जो भी ईमान लाएगा वह और में ज़िन्दा रहूँगा | हर कोई यक़ीन रखता है मैं कभी नहीं मरूंगा | क्या आप यक़ीन रखते हैं ?"
- 43:01'ईसा मसीह के आसमान में जाने के बा'द, शागिर्द यरूशलीम में रहेंगे क्यूँकि 'ईसा ने उन्हें हुक्म दिया था | ईमानदार एक साथ दु'आ करने के लिए जमा' हुए थे |
- __43:03__जब __ईमानदार__सब एक साथ थे, अचानक वह घर जहाँ वह एक मौजूद थे वह तेज़ हवा की तरह आवाज़ से भरा हुआ था फ़िर कुछ जो आग की लपट की तरह लगती थी जैसे तमाम ईमानदारों के सरों पर आया ठहरी |
- 43:13 हर दिन ज़्यादा _ईमानदारों की तादाद बढ़ती रही |
- 46:06 उस दिन से यरुशलीम में बहुत से लोगों ने ईसा के ईमानदारों को सताना शुरू' किया इसलिए ईमानदार दूसरी जगह भाग गए | लेकिन उसके बावजूद भी, उन्होंने हर जगह 'ईसा के बारे में तबलीग़ की |
- 46:01 साऊल एक जवान आदमी था जो उन लोगों के कपड़ों की देख रेख कर रहा था, जो लोग इस्तिफुनुस को क़त्ल किया था| उसने 'ईसा पर यक़ीन नहीं किया, इसलिए उन्होंने ईमानदारों को परेशान किया
_* __46:09_यरूशलीम में ज़ूल्म व सितम से भागने वाले कुछ __ईमानदार __ अन्ताकिया शहर में चले गए और 'ईसा के बारे में तबलीग़ की। यह अन्ताकिया कि 'ईसा में __ईमान लाने वालों __ को पहले "मसीही" कहा गया।
- __47:14__उन्होंने बातों में ईमानदार की हौसला अफज़ाई और सिखाने के लिए बहुत से ख़ुतूत भी कलीसियाओं लिखे |
शब्दकोश:
- Strong's: H539, H540, G543, G544, G569, G570, G571, G3982, G4100, G4102, G4103, G4135