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मसीही
ता’अर्रुफ़:
‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के कुछ वक़्त बा’द ईमानदारों को “मसीही” कहा गया जिसका मा’नी है, “मसीह के मानने वाले ”
- अन्ताकिया शहर में ‘ईसा के मानने वालों को सबसे पहले “मसीही” कहा गया था।
- मसीही शख़्स वह इन्सान है जो ईमान रखता है कि ‘ईसा ही ख़ुदा का बेटा है और ‘ईसा ही में ईमान रखता है कि उसने उसका गुनाह मु’आफ़ किया।
- आज “मसीही” लफ़्ज़ मसीही मज़हब मानने वाले के बारे में काम में लिया जाता है लेकिन वह शख़्स हक़ीक़त में ‘ईसा की पैरवी नहीं करता है। किताब-ए-मुक़द्दस में "मसीही" लफ़्ज़ का मा’नी यह नहीं है।
- क्योंकि किताब-ए-मुक़द्दस में “मसीही” लफ़्ज़ हमेशा उस इन्सान के लिए काम में लिया गया है जो हक़ीक़त में ‘ईसा में यक़ीन करता है, मसीही लोगों को "ईमानदार " भी कहते हैं।
तर्जुमे की सलाह:
इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मसीह को मानने वाला” या “मसीह का पैरोकार” या “मसीह आदमी” जैसा।
- वाज़े’ करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा शागिर्द और रसूल लफ़्ज़ों के तर्जुमे से अलग हो।
- होशियारी से तर्जुमा करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ‘ईसा पर ईमान रखने वाले सब लोगों के बारे में हो न कि किसी एक क़बीले या क़ौम से हो
यह भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है | (देखें:अनजाने लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे )
(यह भी देखें :अन्ताकियामसीहइबादतख़ाना़शागिर्दईमानदार‘ईसाख़ुदा का बेटा
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 46:09 और शागिर्द सब से पहले अन्ताकिया ही में "मसीही" कहलाए।
- 47:14 पौलुस और ग़ैर __मसीही__रहनुमाओं ने अनेक शहरों में ‘ईसा का मुनादी किया और लोगों को ख़ुदा के कलाम की ता’लीम दी।
- 49:15 अगर तुम ‘ईसा पर और जो कुछ उसने आपके लिए किया उस पर ईमान रखते हो हो, तो आप एक मसीही हो!
- 49:16 अगर तुम एक मसीही हो, तो जो कुछ ‘ईसा ने किया उसकी वजह से ख़ुदा ने तुम्हारे गुनाह माफ़ कर दिए हैं।
- 49:17 अगर आप एक मसीही हैं, फिर भी आप गुनाह करने की आज़माइश में पड़ोगे।
- 50:03 आसमान में वापस जाने से पहले, ‘ईसा ने मसीहों से कहा कि वे उन लोगों को ख़ुशख़बरी सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना।
- 50:11 जब ‘ईसा वापस आएगा, तो हर मसीही जो मरा है वह मुर्दों में से जी उठेगा और उससे आसमान में मिलेगा।
शब्दकोश:
- Strong's: G5546