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सिखाना, सिखाता है, पढ़ाया गया, ता’लीम , ता’लीमें , अनपढ़

ता’अर्रुफ़:

किसी को "सिखाने" का मतलब है कि उसे वह बताना जो वह पहले से न जानता हो। इसका मतलब आम तौर में "मा’लूमात ‘अता करने" का भी हो सकता है, जिसका बयान सीखने वाले इन्सान से नहीं होता। आम तौर पर मा’लूमात ज़ाहिरी या दानिस्ता तौर से दी जाती है। एक इन्सान का "तरबियत " या उसकी "ता’लीम " वह हैं जो उसने पढ़ाया है।

  • “उस्ताद ” वह है जो ता’लीम देता है। “सिखाना” की माज़ी काम है, “सिखाया जाता है”
  • ‘ईसा अपनी ता’लीमों में ख़ुदा और उसकी बादशाहत की बातें बताता था।
  • ‘ईसा के शागिर्द उसे “उस्ताद ” कहते थे। यह ख़ुदा के लिए इन्सानों में ता’लीम देनेवाले के लिए एक इज़्ज़त का ‘ओहदा था।
  • जिन मा’लूमातों की ता’लीम दी जाती है उनका ज़ाहिर होना या बोला जा सकता है।
  • “तरबियत ” ख़ुदा के बारे में दी जानेवाली ता’लीमों का दारोमदार और ज़िन्दगी गुज़ारने के बारे में ख़ुदा के हुक्म है। इसका तर्जुमा “ख़ुदा की ता’लीमें ” या “ख़ुदा जो सिखाता है” की शक्ल में हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनहसिर “तुझे सिखाया गया” कातर्जुमा , “इन लोगों ने तुझे जो सिखाया” या “ख़ुदा ने तुझे जो सिखाया” हो सकता है।
  • “ता’लीम देना” के और तर्जुमें “कहना”, या “समझना” या “हुक्म देना” हो सकते है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ज़यादा तर होता है, “इन्सानों को ख़ुदा के बारे में समझाना”

(यह भी देखें: हुक्म, उस्ताद, ख़ुदा का कलाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H502, H2094, H2449, H3045, H3046, H3256, H3384, H3925, H3948, H7919, H8150, G1317, G1321, G1322, G2085, G2605, G2727, G3100, G2312, G2567, G3811, G4994