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झिड़कना, घुड़कने, डांटा
ता’अर्रुफ़:
झिड़कना या’नी शख़्त अलफ़ाज़ के इस्ते’माल के ज़रिए’ किसी का सुधार करना कि वह गुनाहों से फिर जाए। इस तरह के सुधार झिड़कना है।
नये ‘अहदनामे में ईमानदारों को हुक्म दी गई है कि वे साथ के ईमानदारों को ख़ुदा की हुक्मों का ‘अमल न करने पर डाँटे। अम्साल में वालिदैन को हिदायत है कि वे अपनी औलाद की ताड़ना करें।
- झिड़की ख़ास करके गलती करनेवाले को गुनाह करने से रोकने के लिए की जाती थी।
- इसका तर्जुमा “शख़्ती से सुधार करना” या “मशविरा करना” की शक्ल में हो सकता है।
जुमला “एक झिड़की” का तर्जुमा, शख़्त सुधार” या “शख़्त तनक़ीद” के तौर पर हो सकता है। “बिना झिड़के” इस जुमले का तर्जुमा “बिना समझाए” या “तनक़ीद किए बिना” की शक्ल में हो सकता है।
(यह भी देखें: आगाह कराना, नाफ़रमानी)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H1605, H1606, H2778, H2781, H3198, H4045, H4148, H8156, H8433, G298, G299, G1649, G1651, G1969, G2008, G3679