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बुझाना, बुझेगी, नहीं बुझती

ता’अर्रुफ़:

“बुझाना” लफ़्ज़ का मतलब है आग बुझाना या की ख्वाहिश को मुतमईन करना छोड़ देना |

  • इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल आमतौर पर प्यास बुझाने के बारे में किया जाता है, पीने वाली चीज़ को पीकर प्यास को बुझाना
  • इसका बयान आग बुझाने से भी है।
  • आग और प्यास दोनों ही पानी से बुझते हैं।
  • पौलुस “बुझाने” लफ़्ज़ को तम्सीली शक्ल में काम में लेता है, जब वह ईमानदारों को कहता है, “पाक रूह को न बुझाओ”। इसका मतलब है कि इंसानों में पाक रूह के फल और ने;मत से इन्सानों को मायूस न करें। पाक रूह को बुझाने का मतलब है ऐसे काम करना कि पाक रूह इन्सान में अपनी ताक़त और काम ज़ाहिर न कर पाए।

(यह भी देखें: फल, ने’मत, पाकरूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1846, H3518, H7665, H8257, G762, G4570