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फूल जाना, फूल जाना

ता’अर्रुफ़:

“फूल जाना” एक कलाम है जिसका मतलब है मग़रूर या गुस्ताख़ होना। (देखें:कलाम

  • एक आदमी जो फूल जाता है वह ख़ुद को औरों से ज़्यादा बड़ा समझता है।
  • पौलुस ने सिखाया था कि मा’लूमात और सच्चाई या मज़हबी इल्म की ज़्यादती की वजह से इन्सान “फूल जाता है” और मुताकब्बिर हो जाता है।
  • और ज़बानों में भी ऐसी ही या इससे अलग जुमला हो सकता है जिसका मतलब यही हो जैसे “अकड़ में रहना”।
  • इसका तर्जुमा "बहुत ग़ुरूर " या "दूसरों से नफ़रत " या "तकब्बुर " या "दूसरों की बराबरी में खुद को बेहतर समझने" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मग़रूर, मुताकब्बिर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बार में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6075, G5229, G5448