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सब्र करना , सब्र

ता’अर्रुफ़:

“सब्र करना ” और “सब्र ” का मतलब है किसी काम को करते रहना चाहे वह बहुत कठिन या लम्बा वक़्त क्यों न लेने वाला हो।

सब्र करने का मतलब यह भी हो सकता है कि मसीह के जैसा सुलूक करना चाहे कठिन इम्तिहानों या हालातों में हो।

  • “सब्र करने वाला” इन्सान वह है जो अपने काम को करता रहता है जो उसे करना चाहिए चाहे वह तकलीफ़देह या दुःख वाला हो।
  • ख़ुदा की ता’लीमों पर चलते रहना सब्र करना है चाहे कोई कितनी भी झूठी ता’लीमें दे।
  • यहां होशियार रहें कि “ज़िद ” लफ़्ज़ का इस्ते’माल न करें क्योंकि इसका मतलब नफ़ी में है।

(यह भी देखें: सब्र करना, इम्तिहान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G3115, G4343, G5281