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मातम करना, मातम कर रहा है, शोक करने लगे, मातम करता हुआ, मातम करनेवाला, मातम करनेवालों, उदासी, ग़म

सच्चाई:

“मातम” और मातम करना” का मतलब है ग़म करना, हमेशा किसी की मौत पर।

कई रवाजों में मातम के लिए ख़ास बाहरी सुलूक होता है जिससे दुःख और ग़म ज़ाहिर होता है। पुराने वक़्त में इस्राईल और दूसरी क़ौमें ऊँची आवाज़ा में रोकर मातम ज़ाहिर करके दुःख बयान करते थे। वह टाट के बने लिबास पहन कर और सिर में राख डालते थे।

  • किराए के ग़म मनाने वाले भी होते थे, हमेशा ‘औरतें, वह मौत के वक़्त से लेकर दफ़न तक रोती और मातम करती थी।
  • ग़म का वक़्त सात दिन होता था लेकिन तीस दिन तक भी होता था (जैसे मूसा और हारून के लिए था) या सत्तर दिन (जैसा या'क़ूब के लिए किया गया था)
  • कलाम इस लफ़्ज़ का 'अलामती इस्ते'माल भी करता है गुनाह के लिए “मातम करना”। इसका बयान गहरे दुःख के एहसास से है क्यूँकि गुनाह ख़ुदा के लोगों को तकलीफ़ पहुँचाता है।

(यह भी देखें: टाट, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H56, H57, H60, H205, H578, H584, H585, H1058, H1065, H1068, H1669, H1671, H1897, H1899, H1993, H4553, H4798, H5092, H5098, H5110, H5594, H6937, H6941, H6969, H7300, H8386, G2354, G2875, G3602, G3996, G3997