ur-deva_tw/bible/other/lamp.md

2.1 KiB

चराग़, चराग़ों

ता’अर्रुफ़:

“चराग़” लफ़्ज़ रोशनी पैदा करने का ज़रिया’ होता है। किताब-ए-मुक़द्दस में जिन चराग़ों का ज़िक्र किया गया है वे तेल से जलते थे,

वह एक छोटी कटोरी होती थी जिसमें तेल डालकर जलाया जाता था कि रोशनी हो।

  • ‘आमतौर पर चराग़ मिट्टी का बनता था जिसमें ज़ैतून का तेल भरा जाता था, उसमें एक बत्ती रखकर जलाई जाती थी।
  • कुछ चराग़ अण्डानुमा होते थे जिनकी एक शिरा दबा होता था जहां बत्ती रखी जाती थी।
  • एक तेल की चराग़ को लेकर चला जा सकता है या तो एक ऊँचे मक़ाम पर रखा जा सकता है ताकि इसकी रोशनी एक कमरे या घर को रोशन कर सके।
  • कलाम में, चराग़ ‘अलामती तौर पर ज़िन्दगी और नूर की ‘अलामत है।

(यह भी देखें: चराग़दान, ज़िन्दगी, रोशनी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3940, H3974, H4501, H5215, H5216, G2985, G3088