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वारिस, वारिसों

ता’अर्रुफ़:

“वारिस” वह इन्सान है जो मुर्दे की जायदाद या दौलत को कानूनी तौर से हासिल करता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, पहलौठा बेटा ख़ास वारिस होता है, जिसे बाप की जायदाद और दौलत का ज़्यादा हिस्सा मिलता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “वारिस” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी किया गया है, ईमानदार ख़ुदा बाप से रूहानी मुनाफ़ा पाते हैं।
  • ख़ुदा की औलाद होने के नाते ईमानदार मसीह ‘ईसा के “साथी वारिस” कहलाते हैं। इसका तर्जुमा हो सकता है, “साथीवारिस” या “साथी वारिसों” या “के साथ वारिस”।
  • “वारिस” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ायदा हासिल करनेवाला इन्सान” या अपने वालिदैन या रिश्तेदार के मरने पर दौलत-ओ-जायदाद हासिल करने वाले के लिए जो भी लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।

(यह भी देखें: पहलौठा,मीरास)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1121, H3423, G2816, G2818, G2820, G4789