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पण्डुकी, कबूतर

ता’अर्रुफ़:

पण्डुकी और कबूतर दो छोटे भूरे रंग के परिन्दे हैं जो एक से दिखते हैं। पण्डुकी रंग में हल्की होती है, लगभग सफ़ेद|

  • कुछ ज़बानों में इन दोनों परिंदों के नाम अलग-अलग हैं और कुछ ज़बानों दोनों परिंदों के लिए एक ही नाम काम में लेते हैं।
  • पण्डुकी और कबूतर दोनों ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी चढ़ाने के काम में आते थे, ख़ास करके उन इन्सानों के ज़रिए’ जो बड़ा जानवर ख़रीदने की सलाहियत नहीं रखते थे।
  • जब तूफान का पानी घट रहा था तब पण्डुकी ज़ैतून का पत्ता लेकर नूह के पास लौट आई थी।
  • पण्डुकी कभी-कभी पाकी, मासूमियत और सुकून की ‘अलामत भी है।
  • अगर तर्जुमे की मक़ामी ज़बान में पण्डुकी और कबूतर नहीं जाने जाते हैं जहाँ तर्जुमा किया गया है, इस लफ़्ज़ तर्जुमा किया जा सकता है, “एक छोटा भूरा परिन्दा जो पण्डुकी कहलाता है” या “एक छोटा भूरे रंग का परिन्दा जो (किसी मक़ामी परिन्दे का नाम) की तरह दिखता है।”
  • अगर पण्डुकी और कबूतर दोनों का ज़िक्र एक ही आयत में है तो ठीक होगा कि हर मुमकिन दो अलग-अलग अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाए।

(यह भी देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसा करें

(यह भी देखें: ज़ैतून, मासूम, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस की बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1469, H1686, H3123, H8449, G4058