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आज़माइश करने, आज़माइश
ता’अर्रुफ़:
किसी को आज़माइश में डालने का मतलब है कि उससे ग़लत काम करवाना।
- आज़माइश में इन्सान ग़लत काम करना चाहता है।
- इन्सान अपने गुनाहगारी मिज़ाज या और इन्सानों के ज़रिये आज़माइश में गिरता है।
- शैतान भी इन्सानों को ख़ुदा की नाफ़रमानी और ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह करने की आज़माइश में डालता है ग़लत कामों के ज़रिये
- शैतान ने ईसा की भी आज़माइश ली थी और उसने ग़लत काम करवाना चाहता था लेकिन ‘ईसा ने उसकी आज़माइश पर फ़तह पाकर गुनाह नहीं किया।
- “ख़ुदा की आज़माइश” उसे कुछ ग़लत करने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि हठीलेपन और ना फ़रमानी में बने रहता है जब तक ख़ुदा उसे सज़ा देकर रद्दे ‘अमल नहीं करता। इसे भी “ख़ुदा की आज़माइश” लेना कहते हैं।
तर्जुमे की सलाह:
- " आज़माइश करना" का तर्जुमा “गुनाह करवाने का कोशिश करना” या “लालच देना” या “गुनाह करने की ख़्वाहिश जगाना।”।
- “ आज़माइश” के तर्जुमे की शक्ल हो सकते हैं, “आज़माइश में गिरानेवाली बातें” या “किसी को गुनाह का लालच देने वाली बातें” या “ऐसी बातें जो ग़लत काम करने की ख़्वाहिश पैदा करें।”
ख़ुदा की आज़माइश के बारे में इसका तर्जुमा “ख़ुदा को परखना” या “ख़ुदा को जांचना” या “ख़ुदा के सब्र को आज़माना ” या “ख़ुदा के ज़रिए’ सज़ा पाने की वजह होना” या “हठीलेपन की वजह ख़ुदा की नाफ़रमानी करते रहना”।
(यह भी देखें हुक्म न मानना, शैतान, गुनाह , आज़माइश )
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:
- 25:01 तब शैतान ‘ईसा से गुनाह कराने के लिये उनकी __ आज़माइश करने__ आया |
- 25:08 ‘ईसा शैतान के __आज़माइश __नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया, तब फ़रिश्ते आए और ‘ईसा की ख़िदमत करने लगे |
- 38:11 ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि दुआ करते रहो कि __ आज़माइश __ में न पड़ो |
शब्दकोश:
- Strong's: H974, H4531, H5254, G551, G1598, G3985, G3986, G3987