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ज़ाहिर करना, ज़ाहिर करना, ज़ाहिर किया, मुकाशिफ़ा

ता’अर्रुफ़:

“ज़ाहिर करना” या’नी किसी बात को जानने के क़ाबिल बनाना। “मुकाशिफ़ा” ज़ाहिर की गई कोई बात है।

  • ख़ुदा ने अपनी क़ायनात की हर एक तख़लीक के ज़रिए’ से ख़ुद को ज़ाहिर किया है और ज़ुबानी और तहरीरी पैग़ाम के इन्सान के साथ जुड़ने के ज़रिए’ भी।
  • ख़ुदा ख़्वाबों और रोया के ज़रिए’ भी ख़ुद को ज़ाहिर करता है।
  • पौलुस कहता है कि उसने “मसीह ‘ईसा के मुकाशिफ़ा के ज़रिए’” ख़ुशख़बरी हासिल की है तो उसके कहने का मतलब है कि ‘ईसा ख़ुद ने उसे ख़ुशख़बरी समझाई है।
  • नये ‘अहदनामे की किताब, “मुकाशिफ़ा” आख़िरी वक़्त से मुता’अल्लिक़ वाक़ि’आत का ख़ुदा के ज़रिए’ मुकाशिफ़ा है। उसने रोया के ज़रिए’ रसूल युहन्ना को सब ज़ाहिर किया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ज़ाहिर करना” के दीगर तर्जुमा के तरीक़े हैं, “समझाना” या “खोलना” या “साफ़ दिखाना”
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “मुकाशिफ़ा” के मुमकिन तर्जुमा हो सकते हैं, “ख़ुदा से रिश्ता” या “ख़ुदा ने जो बातें ज़ाहिर की” या “ख़ुदा के बारे में ता’लीमत”। अच्छा तो यही होगा कि इसी लफ़्ज़ में “ज़ाहिर करना” का मतलब रखा जाए।

“जहां मुकाशिफ़ा नहीं” इस जुमले का तर्जुमा “जब ख़ुदा इन्सानों पर ख़ुद को ज़ाहिर न करे” या “जब ख़ुदा इन्सानों से बातें न करे” या “ख़ुदा ने इन्सानों से राब्ता न किया” के तौर पर किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ख़ुशख़बरी, ख़ुशख़बरी, ख़्वाब, रोया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H241, H1540, H1541, G601, G602, G5537