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ग़लती , बदकारी

ता’अर्रुफ़:

"ग़लती" लफ़्ज़ का मतलब और "गुनाह" का मतलब एक जैसा ही है लेकिन जुर्म का ज़्यादा ख़ास करके जानबूझ कर या बड़ी बदकारी से मुता'अल्लिक़ ग़लत काम करना।

  • “बदकारी का काम” का मतलब हक़ीक़त में है कि (शरी'अत को) घुमा फिरा के बयान करना। इसके बारे में बड़ी ना इंसाफ़ी है।
  • ग़लती कई लोगों के ख़िलाफ़ जानबूझकर, नुक़सान दह 'आमाल की शक्ल में बयान किया जा सकता है ।
  • “बदकारी के काम” का तर्जुमा हो सकता है, “ग़लत किरदार” या “बग़ावत” इन दोनों लफ़्ज़ों के ज़रिए' खौफ़नाक गुनाह की हालत ज़ाहिर होती है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • “बदकारी के कामों” का तर्जुमा हो सकता है, “बदकार” या “सख्त 'अमल” या “नुक़सान देने वाला काम ”।
  • “बदकारी के काम” यह जुमले हमेशा मुख़ालिफ़ ज़ाहिर होते है जिसमें “गुनाह ” और “बग़ावत ” लफ़्ज़ आते हैं। लिहाज़ा इनके तर्जुमे में अलग-अलग लफ़्ज़ों का इस्ते'माल करना बहुत ज़रूरी है।

(यह भी देखें: गुनाह, नाफ़रमानी करना, जुर्म करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H1942, H5753, H5758, H5766, H5771, H5932, H5999, H7562, G92, G93, G458, G3892, G4189