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ईमानदार, इमानदारी, बे-ईमान, बे-ईमानी

ता’अर्रुफ़:

ख़ुदा के लिए “ईमानदार” होने का मतलब मुसलसल ख़ुदा की ता’लीमों के मुताबिक़ रहने से है। इसका मतलब उसका ‘अमल करने के ज़रिए’ उसके लिए वफ़ादार होना। ईमानदार होने के बयान या हालत को "ईमानदारी" कहते है।

  • एक ईमानदार इन्सान हमेशा अपने वा’दों को बरक़रार रखने और दूसरे लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भरोसा रखता है|
  • ईमानदार शख़्स किसी काम को करने में मेहनत करता है चाहे वह बहुत वक़्त का और मुश्किल भी क्यों न हो।
  • ख़ुदा के लिए वफ़ादारी से मुसलसल करते रहने की मश्क़ करना, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है|

लफ़्ज़ ख़ुदा पर “बे-ईमान” का मतलब उस इन्सान से है, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है वह नहीं करता है| बे-ईमान की मश्क़ या शर्त को “बे-ईमानी” कहते हैं|

  • इस्राईल के लोगों को बे-ईमान कहते थे, जब उन्होंने बुतपरस्ती शुरू’ की और जब वह और तरह से ख़ुदा की नाफ़रमानी की|
  • शादी में, जो कोई ज़िना करता है, उससे अपने शौहर के लिए “बेवफ़ा” क़रार दिया जाता है|
  • ख़ुदा ने इस्राईल के नाफ़रमान रवैये के लिए “बे-ईमान” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया| वह ख़ुदा की फ़रमाबरदारी या ‘इज़्ज़त करते थे|

तर्जुमे की सलाह:

  • बहुत से मज़मूनों में “ईमानदार” का तर्जुमा “वफ़ादार” या “ताबे’” या “मुनहस्सिर करने के क़ाबिल” भी किया जा सकता है।

  • और मज़मूनों में “ईमानदार” ऐसे अलफ़ाज़ या जुमलों के ज़रिए’ तर्जुमा किया जा सकता है जिनका मतलब हो, “भरोसा करते रहना” या “ख़ुदा पर ईमान करने और उसके फ़रमाबरदारी में लगे रहना”।

  • “ईमानदार” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “ईमान में मेहनत करते रहना” या “वफ़ादारी” या “भरोसेमन्द” या “ख़ुदा पर ईमान और फ़रमाबरदारी”

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “बे-ईमान” का तर्जुमा “ईमानदार नहीं” या “बे-ऐतिक़ादी” या “नाफ़रमान” या “वफ़ादार नहीं” के तौर पर किया जा सकता है|

  • अलफ़ाज़ “बे-ईमान” का तर्जुमा “वह लोग ख़ुदा पर ईमान नहीं रखते” या “बे-ईमान लोग” या “वे लोग जो ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं” या “वह लोग जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत करते हैं” के तौर पर किया जा सकता है|

  • लफ़्ज़ “बे-ईमानी” का तर्जुमा “नाफ़रमान” या “बेवफ़ाई” या “नाफ़रमानी या भरोसा न करना” के तौर पर किया जा सकता है|

  • कुछ ज़बानों में, लफ़्ज़ “बे-ईमान” लफ़्ज़ “बे-ऐतिक़ादी “से मुता’अल्लिक़ है|

(यह भी देखें: ज़िना, यक़ीन, नाफ़रमानी, ईमान, भरोसा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 08:05 यहाँ तक की क़ैदख़ाने में भी यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा और ख़ुदा ने उसे बरकत दी।
  • 14:12 फिर भी, ख़ुदा अपने ‘अहद पर वफ़ादार रहा जो उसने इब्राहीम, इस्हाक़, व या’क़ूब से बाँधी थी।
  • 15:13 लोग ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहेंगे व उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
  • 17:09 दाऊद ने कई सालों तक इंसाफ़ व वफ़ादारी के साथ हुकूमत की, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया। हालांकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा गुनाह किया।
  • 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह उसे दंड दिया, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की बादशाही को दो हिस्सों में बाँट देंगा।
  • 35:12 “उसने बाप को जवाब दिया कि, ‘देख, मैं इतने साल आप के लिये ईमानदारी से काम कर रहा हूँ,
  • 49:17 लेकिन ख़ुदा ईमानदार है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु’आफ़ करेगा।
  • 50:04 अगर तुम आख़िर तक मेरे लिए वफ़ादार रहोगे, तो ख़ुदा तुम्हें बचाएगा!”

शब्दकोश:

  • Strong's: H529, H530, H539, H540, H571, H898, H2181, H4603, H4604, H4820, G569, G571, G4103