ur-deva_tw/bible/kt/condemn.md

2.5 KiB

इल्ज़ाम लगाना ,मुजरिम, बुराई ,सज़ा का हुक्म

ता’अर्रुफ़:

“इल्ज़ाम लगाना” और “सज़ा का हुक्म” या’नी ग़लत काम के लिए किसी का इन्साफ़ करना।

  • “इल्ज़ाम लगाना” में किसी इन्सान को उसके ग़लत काम के लिए सज़ा देना शामिल होता है।
  • कभी-कभी “इल्ज़ाम लगाना” के मा’नी किसी पर झूठा इल्ज़ाम लगाना या किसी का बेरहमी से इन्साफ़ करना होता है।

यह “इलज़ाम” लफ्ज़ किसी काम को ज़ाहिर करता है जो किसी पर किसी तरह की फटकार करता है |

तर्जुमा कीसलाह:

इस बात पर मुनहसिर है की इसका तर्जुमा किया जा सकता है “बीदमिज़ाजीका ‘अदालत “ या “ऐब जोई “ “इलजाम लगाना “का तर्जुमा किया जा सकता है “वह ग़लत है “उसके गुनाहों की सज़ा उसे ज़रूर मिलना है |

  • इस लफ़्ज़ “इल्ज़ाम”का ऐसा भी तर्जुमा किया जा सकता है “बदमिज़ाजी “और ज़ाहिर करता है “ग़लती की सज़ा”

(यह भी देखें: ‘अदालत . सज़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6064, H7034, H7561, H8199, G176, G843, G2607, G2613, G2631, G2632, G2633, G2917, G2919, G2920, G5272, G6048