ur-deva_tw/bible/kt/clean.md

7.2 KiB

साफ़,साफ़ सुथरा,साफ़ किया ,साफ़ करना ,साफ़ होना ,धुलना ,धुलाई ,धोया ,गन्दा

ता’अर्रुफ़:

“साफ़” के मा’नी हैं मैल या दाग न होना | कलाम में इसका इस्ते’माल अक्सर ‘अलामती शक्ल में किया जाता है कि इसके मा’नी “साफ़” या “पाक” या”बे गुनाह “हो |

  • ”सफ़ाई” किसी चीज़ को साफ़ करने की तरतीब है| इसका तर्जुमा “धोना”या “साफ़ करना “हो सकता है |

पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को बताया था कि उसने कौन कौन से जानवरों को “साफ़”और कौन कौन से जानवरों को “गन्दा”मुक़र्रर किया है | केवल साफ़ जानवर ही खाने और क़ुर्बानी पेश करने के लिए काम में लिए जा सकते हैं | इस बारे में "साफ़" लफ़्ज़ के मा’नी है कि जानवर क़ुर्बानी पेश करने में ख़ुदा को क़ुबूल के लायक़ है।

  • जिस आदमी को जिल्दी बीमारी होता था वह गन्दा माना जाता था जब तक कि उसकी बीमारी से आज़ाद न हो जाए। जिल्दी सफ़ाई के हुक्मों पर ‘अमल करना ज़रूरी था उस आदमी को फिर “साफ़” किया जाने के लिए।
  • कभी कभी “साफ़”लफ़्ज़ को ‘अलामती शक्ल में रूहानी सफ़ाई के लिए इस्ते’माल किया जाता था|

किताब-ए-मुक़द्दस की ज़बान में “गन्दा” लफ़्ज़ किसी ख़ास चीज़ तरफ़ इशारा है जिसको ख़ुदा ने ज़ाहिर कर दिया है की न उसे छूना,खाना,न क़ुर्बानी पेश करना |

  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को इस बारे में बतादिया है कि कौन सा जानवर तुम्हारे लिए “साफ़”और कौन है “गन्दा” नापाक जानवरों को न खाने की इजाज़त थी न क़ुर्बानी पेश करने की |

लोग जो जिल्दी बीमारी मे है बताया गया है की वह नापाक होंगे जब तक उनको शिफ़ा न मिल जाये | अगर इस्राईल कोई ऐसी “नापाक” चीज़ छूता है तो वह भी कुछ वक़्त के लिए नापाक हो जायेंगे |

  • ख़ुदा की फरमाबरदारी हुक्म करता है उस बारे में न छूना ,न खाना ,कोई गन्दी चीज़ इस्राईली लोग इसको ख़ुदा की इबादत से दूर रखें |
  • जिस्मानी और मजहबी समझ का निशान है “मज़हबी समझ “
  • दूसरे नज़र आने वाले गुनाह “बदरूह “जो बुरी रूह को ज़ाहिर करता है |

तर्जुमे की सलाह :

  • इस लफ़्ज़ का अनुवाद “स्वच्छ” एवं “शुद्ध” के लिए काम में आने वाले सामान्य शब्दों में किया जा सकता है।
  • इसमें तर्जुमा करने के और तरीके शामिल हो सकते हैं, "पाक शक्ल से साफ" या "ख़ुदा को कुबूल "
  • "साफ़ "; का तर्जुमा"धुलाई" या "पाक" ज़रिये’किया जा सकता है।
  • वाज़े’करें कि "साफ़" और "पाक" के लिए इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ों को भी एक ज़ाहिरी मा’नीमें समझा जा सकता है।

“गन्दा” के मा’नी हैं इस का तर्जुमा ऐसे करें “नापाक”या “जो ख़ुदा की निगाह में मुनासिब नहीं””जिस्मानी नापाकी” या ऐब दार “ जो बताता है बदरूह या एक गंदी रूह “गन्दी” इसका तर्जुमा हो सकता है “बुरा “ऐब दार “ ये तर्जुमा ज़ाहिर करता है रूहानी नापाकी | यह किसी भी चीज़ को ज़ाहिर करता है जो खुदा ने बता दिया है जो ना मुनासिब हो छूने ,खाने ,और क़ुर्बानी पेश करने में

(यह भी देखें: पाक,बुरा, नापाक, क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1249, H1252, H1305, H2134, H2135, H2141, H2398, H2548, H2834, H2889, H2890, H2891, H2893, H2930, H2931, H2932, H3001, H3722, H5079, H5352, H5355, H5356, H6172, H6565, H6663, H6945, H7137, H8552, H8562, G167, G169, G2511, G2512, G2513, G2839, G2840, G3394, G3689