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ख़िराज
ता’अर्रुफ़:
“ख़िराज”, एक बादशाह के ज़रिए’ दूसरे बादशाह को दिए जानेवाले तोहफ़े जिसका मक़सद होता था, हिफ़ाज़त और दोनों मुल्कों के अच्छे रिश्ते
- ख़िराज एक अदायगी भी हो सकती है जिसे किसी हाकिम या हुकूमत को लोगों से ज़रूरत होती है,जैसे कि चुंगी या ख़िराज
- किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में कोई बादशाह या हाकिम किसी और बादशाहत में से होकर सफ़र करता था तो उस मुल्क के बादशाह को ख़िराज देता था कि उस ‘इलाक़े में उसकी हिफ़ाज़त तय की जाए।
- ख़िराज में पैसों के अलावा खाने की चीज़ें, मसाले, अच्छे लिबास, और सोने जैसी क़ीमती धातुएं भी होती थी।
तर्जुमे की सलाह:
- मज़मून के मुताबिक़ , “ख़िराज” का तर्जुमा किया जा सकता है, “सरकारीतोहफ़ा ” या “ख़ास अदाएगी ” या “ज़रूरी अदाएगी ”।
(यह भी देखें: सोना, बादशाह , हाकिम , ख़िराज)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H1093, H4060, H4061, H4371, H4503, H4522, H4530, H4853, H6066, H7862, G1323, G2778, G5411