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साया, साये, सायादार, सायादार

ता’अर्रुफ़:

“साया” का मतलब है रौशनी को रोकने वाली चीज़ का साया है। इसके कई 'अलामती मतलब भी हैं।

  • “मौत का साया ” या'नी मौत क़रीब है, जिस तरह कि साया ज़ाहिर करता है कि कोई चीज़ क़रीब है।
  • कलाम में कई बार लोगों की ज़िन्दगी की बराबरी साया से की गई है जो ज़्यादा वक़्त की नहीं होती है और उसकी कोई हक़ीक़त नहीं होती है।
  • कभी-कभी “साया” लफ़्ज़ को “तारीकी” के लिए भी काम में लिया जाता है।
  • ख़ुदावन्द के परों या हाथों की साया में रखने का ज़िक्र कलाम में किया गया है। यह महफ़ूज़ रहने और ख़तरे से छिप जाने की एक 'अलामती शक्ल है। “साया” के तर्जुमे की शक्लें हो सकती हैं “साया” या “हिफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ ”।
  • बेहतर तो यह होगा कि “साया” लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उसी लफ़्ज़ से किया जाए जिसे साया के लिए काम में लिया जाता है।

(यह भी देखें: ख़ुदावन्द, रोशनी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2927, H6738, H6751, H6752, H6754, H6757, H6767, G644, G1982, G2683, G4639