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के साथ रिश्ते थे, प्यार में मस्त होना, साथ सोना, साथ सोता है, के साथ सोया, के साथ सोना

ता’अर्रुफ़:

कलाम में, यह लफ़्ज़ यौन संबन्ध का संदर्भ देने वाले व्यंजना लफ़्ज़ हैं। (देखें: [अलफ़ाज़)

  • ज़ाहिरी "साथ सो जाओ" किसी इन्सान को उस इन्सान के साथ जिस्मानी रिश्ता रखने के लिए बयान करता है। इसका माज़ी है “साथ सोया”
  • पुराने 'अहद नामे की किताब “ग़ज़वलुल ग़ज़लात” में -यू.एल.बी.- में “मुहब्बत” लफ़्ज़ काम में लिया गया है जो जिस्मानी रिश्ते के बारे में है। इसकी इस्लाह,“मुहब्बत ज़ाहिर करना” के मता'अल्लिक़ है

तर्जुमा की सलाह:

  • कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ों को कई तरीक़ों से अलग अलग जुमले हैं जो साबित करते हैं कि शौहर बीवी के बारे में है या और किसी के बारे में यह तय करना ज़रूरी है कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हर एक जुमले में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुनासिब मतलब में हो।
  • जुमले पर मुन्हसिर तर्जुमें के ऐसे जुमले होंगे,“साथ सोना” या "के साथ लेटना" या "प्यार करने के लिए" या "के साथ सोह्बत करना "
  • कई और तर्जुमा के तरीक़े हैं,“साथ रिश्ता बनाना” जिसमें आ सकता है,“साथ ज़िना करना” या“साथ शादी शुदा ता'अल्लुक़ बनाना"
  • “प्यार करना”का तर्जुमा,“मुहब्बत करना” या“जिस्मानी रिश्ता” हो सकता है। या कोई ऐसा जुमला हो सकता है जो कि अलग ज़बान में इसका तर्जुमा करने का एक आसान तरीका है।
  • यह साबित करना ज़रूरी है कि इस ख़्याल का तर्जुमा कलाम के पढने वालों को क़ुबूल हो

(यह भी देखें: जिस्मानी रिश्ते ग़ैर इख़लाक़ी )

किताब-ए-मुक़द्दस: के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H160, H935, H1540, H2181, H2233, H3045, H3212, H6172, H7250, H7901, H7903, G1097