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सुतून , लाटें, खम्भा, खम्भों

ता’अर्रुफ़:

“खम्भा” एक बड़ी खड़ी चोटी जिस पर छत को या मकान के और हिस्से को रोका जाए। “खम्भा” का दूसरा लफ़्ज़ सुतून होता है।

  • कलाम के ज़माने में मकान को सहारा देने के लिए जो खंभे बनाए जाते थे वे आम तौर पर एक ही पत्थर में से काटकर निकाले जाते थे।
  • पुराने ‘अहद नामे में शिमसोन को फ़िलिस्तियों ने क़ैदी बना लिया था तब उसने उनके हैकल के खंभों को गिराकर हैकल को बर्बाद कर दिया था।
  • कभी-कभी “खंभा” लफ़्ज़ किसी की क़ब्र या किसी हादसे की याद में खड़ी की गई चट्टान को भी कहा गया है।
  • यह लफ़्ज़ किसी देवी-देवता के बुत की इबादत के बारे में भी इस्तेमाल किया गया है। किसी गढ़ी हुई शकल के लिए भी इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया गया है जिसका तर्जुमा “मुजस्समा ” किया जा सकता है।
  • “खंभा” लफ़्ज़ किसी भी सुतून की शक्ल वाली चोटी के लिए किया जा सकता है जैसे आग का खंभा जो इस्राईलियों की जंगल में रात को रहनुमाई करता था या “नमक का खंभा” लूत की बीवी नमक का खंभा बन गई थी जब उसने पलट कर सदोम को देखा था।
  • किसी मकान को थामने वाली चोटी के लिए “खंभा” लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जाता है तो इसका तर्जुमा “खड़ी पत्थर की लाट का सहारा” या “थामने वाली पत्थर कीचोटी ” किया जा सकता है।
  • “खंभा” के और इस्तेमाल का तर्जुमा हो सकता है, “मुजस्समा ” या “ढेर” या “सुतून ” या “इमारत ” या “ऊंची चोटी ” वगैरह जो मज़मून के मुताबिक़ सही हो।

(यह भी देखें: बुनयाद, बुत, शकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H352, H547, H2106, H2553, H3730, H4552, H4676, H4678, H4690, H5324, H5333, H5982, H8490, G4769