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कम तरफ़दारी, तरफ़दारी करना,तरफ़दारी
ता’अर्रुफ़:
“तरफ़दारी करना” और “तरफ़दारी” कुछ लोगों को औरों से ज़्यादा अहमियत देना।
- यह वैसा ही है जैसा कुछ लोगों के साथ औरो से ज़्यादा इज़्ज़त का बर्ताव करना।
- तरफ़दारी या ख़ास गुज़ारिश ज़ाहिर करना ज़्यादातर इसलिए किया जाता है कि आदमी ज़्यादा मालदार है या औरों से ज़्यादा इज़्ज़तदार है।
- कलाम अपने लोगों को ता’लीम देता है कि वे मालदारों और इज़्ज़त दार लोगों के लिए तरफ़दार न हों।
- रोम की कलीसिया को लिखे ख़त में पौलुस कहता है कि ख़ुदा तरफ़दारी नहीं करता है वह बिना तरफ़दारी के इन्साफ़ करता है।
- याक़ूब के ख़त में भी यही ता’लीम दी गई है कि मालदारों को ज़्यादा ऊँची जगह देना या उनके साथ ज़्यादा नर्म बर्ताव करना सही नहीं है।
(यह भी देखें: तरफ़दार)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H5234, H6440, G991, G1519, G2983, G4299, G4383