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ग़ैर क़ौम ,ग़ैर क़ौमें
ता’अर्रुफ़:
किताब-ए-मुक़द्दस में “ग़ैर क़ौम” लफ़्ज़ उन लोगों के लिए काम में लिया गया है जो यहोवा की तरह बुत -बुतों की ‘इबादत करते थे |
- ऐसे लोगों से जुडी मुता’अल्लिक कोई भी बात जैसे उनके इबादत की जगह की क़ुर्बान गाहें , मजहबी तहज़ीब और उनकी उनका अदब -यक़ीन वगैरह सब ग़ैर क़ौम कहलाते थे।
- ग़ैर क़ौम के ईमान में ग़ैर मा’बूदों के सिफ्तों की ‘इबादत थी।
- इन ग़ैर क़ौमों के मज़हब में ज़िनाकारी या जानदार की क़ुर्बानी ‘इबादत का हिस्सा होता था।
(यह भी देखें: क़ुर्बान गाह, झूठे मा’बूद, क़ुर्बानी, इबादत, यहोवा)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H1471, G1484