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कमर

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “कमर” एक जानवर या इन्सान के जिस्म के हिस्से के बारे में बताता हैं जो पसलियों और कूल्हे की हड्डियों के बीच होता है, जिसे निचले पेट की शक्ल में भी जाना जाता है|

  • इज़हार “कमर कसना” का मतलब है मेहनत करने के लिए तैयार हो जाओ। यह मुहावरा उस मश्क़ से आता है जब वे अपने चोगे के निचले भाग को उठाकर कमर में बांध लेते थे कि चलना फिरना आसान हो जाए।
  • “कमर” लफ़्ज़ किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर क़ुर्बानी के जानवर के पिछले हिस्से के लिए काम में लिया जाता था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “कमर” का ‘अलामती शक्ल में हलीमी के तौर पर इन्सान के तख़लीकी ‘उज़्व अपनी नसल का ज़रिया’ लिए काम में लिया गया लफ़्ज़ है। (देखें: अलफ़ाज़
  • “से पैदा होना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “तेरी औलाद होगी” या “तेरे नुत्फ़े से पैदा होगा” या “ख़ुदा तुम से पैदा करेगा।” (देखें: अलफ़ाज़
  • जिस्म के बारे में इसका तर्जुमा हो सकता है, “पेट” या “कूल्हा” या “कमर” मज़मून पर मुनहस्सिर|

(यह भी देखें: नसल, बाँधना, नसल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2504, H2783, H3409, H3689, H4975, G3751