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घड़ी, घंटे
ता’अर्रुफ़:
किसी बात को होने के वक़्त या ‘अरसा के बारे में “घड़ी” लफ़्ज़ के कई ‘अलामती इस्ते’माल हैं।
- कभी-कभी “घड़ी” का हवाला किसी काम को करने का मुसलसल मुक़र्रर वक़्त होता है जैसे “दु’आ का वक़्त”
- जब मज़मून में लिखा होता है, “वह घड़ी आ पहुंची है” जब ‘ईसा दुःख उठाएगा और मारा जाएगा तो इसका मतलब है, इस बात के होने के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ बहुत पहले ही मुक़र्रर किया गया वक़्त|
- “घड़ी” लफ़्ज़ का मतलब यह भी हो सकता है, “उस लम्हा” या “उसी वक़्त”
- जब "घंटे" की बात की जाए तो इसका मतलब है, जल्दी ही सूरज ग़ुरूब होने वाला है।
तर्जुमे की सलाह:
- जब ‘अलामती इस्ते’माल में, लफ़्ज़ “घड़ी” का तर्जुमा “वक़्त” या “लम्हा” या “मुक़र्रर वक़्त”
- “उस घड़ी में” या “उसी वक़्त” का तर्जुमा हो सकता है, “उस वक़्त” या “उस लम्हा” या "फ़ौरन" या "ठीक उसी वक़्त"
- इज़हार "वक़्त बहुत देर हो चुकी थी" का तर्जुमा "यह दिन में देर हो गई" या "यह जल्द ही अंधेरा हो जाएगा" या "यह देर दोपहर था" के रूप में तर्जुमा किया जा सकता है।
(यह भी देखें: घड़ी)
किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H8160, G5610