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2.0 KiB

घमण्ड

ता’अर्रुफ़:

“ग़ुरूर” (फ़ख़्र) लफ़्ज़ का मतलब है मग़रूर या घमण्डी “मग़रूर” ऐसा इन्सान से है जो अपने आपको बहुत बड़ा समझता है।

  • अक्सर यह लफ़्ज़ ऐसे इन्सान के घमण्ड को ज़ाहिर करता है जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह करने से नहीं रूकता है।
  • अक्सर वह इन्सान जो अपने आप अपने बारे में बड़ी-बड़ी बातें करता है
  • मग़रूर इन्सान दानिशमन्द नहीं बेवक़ूफ़ है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फ़ख़्र”, या “घमण्डी” या “ख़ुदग़र्ज़” किया जा सकता है।
  • ‘अलामती इज़हार “घमण्डी आंखें” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “घमण्ड से भरी नज़र” या “दूसरों को अपने आप से छोटा समझना” या “दूसरों को नीचा समझने वाला घमण्डी इन्सान”।

(यह भी देखें: ख़ुद की बड़ाई, घमण्ड)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1361, H1363, H1364, H3093, H4791, H7312