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कराहते, रोना, कराहना
ता’अर्रुफ़:
“कहरना” या'नी जिस्मानी या जज़्बाती हालत की वजह से गहरी हलकी सी की आवाज़ निकालना। यह बिना किसी भी लफ़्ज़ की आवाज़ निकलना हो सकता है।
- एक शख़्स दुःख की वजह से कराहता है।
- खौफ़ नाक ज़ालिमाना बोझ को महसूस करके भी शख़्स कराहता है।
“कराहना ” के तर्जुमे हो सकते हैं, “दर्द की वजह से आवाज़ ” या “गहरा दुःख”
- एक तरीक़े में इसका तर्जुमा हो सकता है, “ गहरे दर्द की आवाज़ ” या “मुसीबत ”।
(यह भी देखें: दोहाई)
किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:
शब्दकोश:
- Strong's: H584, H585, H602, H603, H1901, H1993, H5008, H5009, H5098, H5594, H7581, G1690, G4726, G4727, G4959