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3.6 KiB

आज़ाद, आज़ाद है, आज़ाद हो गया, आज़ाद होना, आज़ादी, आज़ादी से, आज़ाद आदमी, मर्ज़ी, नजात

ता’अर्रुफ़:

“आज़ाद” और “आज़ादी” का मतलब है ग़ुलामी या और किसी तरह की बंदिश में न रहना। “आज़ादी” के लिए दूसरा लफ़्ज़ है “नजात”

  • इज़हार “किसी को आज़ाद करना” या “आज़ाद करना” या’नी किसी की ग़ुलामी या बन्धुआई से निकल आने की राह अता करना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, ये लफ़्ज़ अमूमन ‘अलामती तौर पर काम में लिए गए हैं कि ज़ाहिर किया जाए कि ‘ईसा में ईमान करनेवाला अब गुनाह के क़ाबू में नहीं है।
  • “आज़ादी” या “नजात” का मतलब यह भी है कि मूसा की शरी’अत की लम्बे वक़्त तक ज़रूरत ‘अमल करने के ताबे’ नहीं बल्कि पाक रूह की ता’लीम और अगुआई में रहने के लिए आज़ाद

तर्जुमे की सलाह:

  • लफ़्ज़ “आज़ाद” ऐसे लफ़्ज़ और जुमले के ज़रिए’ तर्जुमा किए जा सकते हैं जैसे “बन्धन आज़ाद” या “ग़ुलामी में नहीं” या “ग़ुलामी से आज़ाद” या “बन्धुआ नहीं”।
  • “आज़ादी” या “नजात” का तर्जुमा ऐसे अलफ़ाज़ से हो जैसे “आज़ाद होने की हालत” या “ग़ुलाम न होने की हालत” या “बन्धुआ नहीं”।
  • इज़हार “आज़ाद करना” इसका तर्जुमा “आज़ाद होने की वजह” या “ग़ुलामी से बचाना” या “बन्धन से छुटकारा दिलाना”
  • जो इन्सान “आज़ाद किया गया” वह बन्धुआई या ग़ुलामी से “छुड़ाया गया” या “बाहर निकाला गया”।

(यह भी देखें: बाँधना, ग़ुलाम बनाना, ख़ादिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1865, H2600, H2666, H2668, H2670, H3318, H4800, H5068, H5069, H5071, H5081, H5337, H5352, H5355, H5425, H5674, H5800, H6299, H6362, H7342, H7971, G425, G525, G558, G572, G629, G630, G859, G1344, G1432, G1657, G1658, G1659, G1849, G2010, G3032, G3089, G3955, G4174, G4506, G5483, G5486